मुंबई, 11 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): अमेरिकी केंद्रीय बैंक Federal Reserve (Fed) ने अपने प्रमुख ब्याज दर (Federal Funds Rate) में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिससे यह 3.50% – 3.75% के रेंज पर आ गया। यह लगातार तीसरी कटौती है और यह दर तीन साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
Fed ने आगे संकेत दिया है कि 2026 में शायद केवल एक और कटौती हो सकती है, क्योंकि नीति निर्माताओं ने रोजगार और महंगाई के रुझानों को देखते हुए अपनी नरमी को सीमित रखने का इशारा किया है।
तो इस फैसले का भारत पर क्या असर पड़ेगा? चलिए समझते हैं ताज़ा स्रोतों और विशेषज्ञ टिप्पणियों के माध्यम से:
1. भारतीय शेयर बाजार में हल्की सुधार की संभावना: भारतीय शेयर बाजार ने Fed के फैसले के बाद ताज़ा सत्र में बढ़त दिखाई है। Sensex में 50+ पॉइंट की तेजी और Nifty 50 भी ऊपर खुला। IT और मेटल सेक्टर में खास उछाल देखा गया है, खासकर क्योंकि अमेरिकी दरें गिरने से विदेशी निवेशकों का जोखिम भरा रुख मजबूत हो सकता है।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार अभी भी सतर्क रहेगा, क्योंकि एफपीआई प्रवाह, डॉलर-रुपया रेट और वैश्विक अनिश्चितताएं निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर सकती हैं।
2. रुपया और विदेशी पूंजी प्रवाह: Fed की दरों में कटौती आम तौर पर डॉलर को कमजोर करती है, जिससे उभरते बाजारों में पूंजी आकर्षित हो सकती है। इससे भारत जैसे देश में एफपीआई निवेश में वृद्धि की उम्मीद रहती है।
हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक, सिर्फ Fed की कटौती ही पर्याप्त नहीं है बल्कि ट्रेड टैरिफ, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और घरेलू आर्थिक संकेत भी रुपये को प्रभावित करेंगे। कुछ रिपोर्टों में यह अनुमान भी लगाया गया है कि आने वाले समय में रुपया 90/US$ के आस-पास कारोबार कर सकता है, तथा 2026 के अंत तक धीरे-धीरे मजबूत हो सकता है।
3. भारतीय शेयर बाजार की प्रतिक्रिया अपेक्षित सीमित: विशेषज्ञों का मानना है कि Fed की यह कटौती भारतीय शेयर बाजार पर अधिक बड़ा सकारात्मक प्रभाव नहीं डालेगी, क्योंकि घरेलू कारक जैसे IPO की संख्या, भारतीय आर्थिक संकेत और एफपीआई का अस्थिर व्यवहार अब ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
कई विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक निवेशक दरों की कटौती को पहले से ही देख रहे थे, इसलिए यह कदम उम्मीद के अनुरूप था।
4. बंधक दरों और कर्ज सस्ता होने के संकेत: Fed की कटौती से अमेरिका में कर्ज सस्ता होगा, जिससे अमेरिकी उपभोक्ता और कंपनियों की क्रय शक्ति मजबूत हो सकती है। यह वैश्विक मांग को बढ़ावा दे सकता है, जिससे भारत जैसे निर्यातक देशों को लाभ मिल सकता है।
5. RBI नीतिगत प्रतिक्रिया की संभावना: अमेरिकी कटौती के बावजूद, RBI की प्राथमिकता मुद्रास्फीति नियंत्रण और घरेलू आर्थिक स्थिरता रही है। पिछले कुछ समय में RBI ने खुद भी ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखी है, और 2026–27 के लिए भी इसका रुख वही रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
कुलमिलाकर, Fed की तीसरी लगातार दर कटौती वैश्विक बाजारों के लिए एक सकारात्मक संकेत तो है, लेकिन इसका भारत पर असर फिलहाल सीमित और मिलाजुला ही रहेगा। भारतीय शेयर बाजार में हल्की तेजी देखने को मिल सकती है, जबकि रुपये और विदेशी निवेश प्रवाह में भी कुछ मजबूती आने की संभावना है।
हालांकि इन सकारात्मक संकेतों के बावजूद देश के घरेलू आर्थिक आंकड़े, मुद्रास्फीति का रुख और वैश्विक अनिश्चितताएं अभी भी महत्वपूर्ण फैक्टर्स बने हुए हैं। इसलिए भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका वास्तविक और निर्णायक प्रभाव तभी दिखाई देगा जब Fed आने वाले महीनों में आर्थिक डेटा के आधार पर अपनी 2026 की नीति दिशा को लेकर और स्पष्ट संकेत देगा।
===