दिल्ली, 26 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): कपास की आवक बढ़ने के साथ ही कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर खरीद की रफ्तार तेज कर दी है। बाजार में कॉटन के दाम MSP से कम चल रहे हैं, जिससे किसान निजी व्यापारियों को कपास बेचकर नुकसान उठा रहे थे। ऐसे हालात में CCI की बढ़ी हुई खरीद किसानों के लिए बड़ी राहत बनकर सामने आई है। फिलहाल CCI रोजाना 1 लाख बेल्स से अधिक कॉटन खरीद रहा है, जबकि 24 नवंबर को यह खरीद बढ़कर 2 लाख बेल्स से अधिक पहुंच गई। ओडिशा को छोड़ देश के लगभग सभी राज्यों में खरीद अभियान जारी है।
मार्केट प्राइस MSP से नीचे, किसानों को घाटा
पिछले कुछ महीनों से कपास के बाजार भाव MSP से नीचे बने हुए हैं। निजी व्यापारियों द्वारा कपास की खरीद 6,500 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हो रही है, जबकि MSP 8,100 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। बाजार भाव और MSP के बीच इस अंतर के कारण किसानों के लिए निजी व्यापार में फसल बेचना घाटे का सौदा बन गया है। यही वजह है कि किसान अब CCI के खरीद केंद्रों पर अधिक निर्भर हो रहे हैं।
570 खरीद केंद्र, रोज 15 नए केंद्र शुरू
किसानों को सुविधाजनक और त्वरित खरीद उपलब्ध कराने के लिए CCI कुल 570 खरीद केंद्र स्थापित कर रहा है। इनमें से 400 केंद्र पहले से ही सक्रिय हैं और बाकी केंद्रों को तेजी से जोड़ा जा रहा है। रोजाना 15 नए केंद्र शुरू होने से किसानों को अपनी फसल MSP पर बेचने में न तो दूरी की परेशानी हो रही है और न ही देरी का जोखिम उठाना पड़ रहा है।
2025–26 फसल अनुमान घटा: CAI का प्रोजेक्शन
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने 2025–26 के लिए 305 लाख गांठों का फसल अनुमान जारी किया है, जो पिछले वर्ष के 312.40 लाख गांठ के मुकाबले लगभग 2 प्रतिशत कम है। दूसरी ओर यार्न यानी धागे की मांग पिछले महीनों में कमजोर पड़ी है, जिसके चलते मिलों की ओर से खरीदारी में तेजी नहीं दिख रही। कई बड़ी मिलें विदेशी कपास को अधिक प्रतिस्पर्धी मानकर उसकी खरीद में दिलचस्पी दिखा रही हैं, जिससे घरेलू बाजार में दबाव और बढ़ा है।
राज्यवार CCI की खरीद (21 नवंबर 2025 तक)
| राज्य | खरीद (लाख क्विंटल) |
|---|---|
| पंजाब | 0.13 |
| हरियाणा | 1.20 |
| राजस्थान | 2.03 |
| गुजरात | 0.33 |
| महाराष्ट्र | 4.26 |
| मध्य प्रदेश | 2.74 |
| आंध्र प्रदेश | 1.44 |
| कर्नाटक | 5.31 |
| तेलंगाना | 20.11 |
तेलंगाना इस अवधि में खरीद के मामले में सबसे आगे रहा है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक से भी उल्लेखनीय मात्रा में कॉटन उठाव हुआ है।
कीमतों पर क्या असर पड़ेगा?
CCI की आक्रामक खरीद से कीमतों को सहारा मिलने की उम्मीद है। MSP से नीचे चल रहे बाजार भाव स्थिर हो सकते हैं और आगे सुधार भी दिखाई दे सकता है। बढ़ती सरकारी खरीद से प्राइवेट मिलों और व्यापारियों पर भी दबाव बनेगा कि वे किसानों को बेहतर रेट दें। हालांकि, यार्न की कमजोर मांग और विदेशी कपास की उपलब्धता भावों पर दबाव बनाए रख सकती है, जिसके चलते निकट भविष्य में कीमतों में बड़ी तेजी की संभावना सीमित दिखाई देती है।
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