नई दिल्ली, 19 नवंबर कृषि भूमि ब्यूरो): चीनी उद्योग के लिए नए सत्र 2025-26 की शुरुआत उत्साहजनक रही है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NCSF) ने इस बार चीनी उत्पादन के मजबूत अनुमान जारी किए हैं। फेडरेशन के अनुसार इस साल देश में 350 लाख मीट्रिक टन सकल चीनी उत्पादन होने की संभावना है। यह अनुमान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल पेराई सत्र की शुरुआत थोड़ी देरी से हुई है, फिर भी उत्पादन का रुझान मजबूत दिख रहा है।
इस सीजन में कितनी चीनी मिलें शुरू हुईं
NCSF की रिपोर्ट के अनुसार, चालू सत्र में अब तक 325 चीनी मिलों ने पेराई का काम शुरू कर दिया है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में केवल 144 मिलें सक्रिय हुई थीं। इससे स्पष्ट है कि उत्पादन गतिविधियां इस बार ज्यादा सुचारू रूप से चल रही हैं। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक – ये तीन बड़े चीनी उत्पादक राज्य – इस बार भी उत्पादन में बढ़त बनाए हुए हैं। महाराष्ट्र में 125 लाख मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश में 110 लाख मीट्रिक टन और कर्नाटक में 70 लाख मीट्रिक टन चीनी उत्पादन की उम्मीद की जा रही है।
इथेनॉल डायवर्जन और खपत के बाद कितना बचेगा सरप्लस
फेडरेशन के मुताबिक इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 35 लाख टन चीनी डायवर्ट होने की उम्मीद है। देश में घरेलू खपत लगभग 290 लाख टन रहने का अनुमान है। इन सबके बाद भी इस सीजन में 20 से 25 लाख टन चीनी का सरप्लस रहेगा।
सरकार पहले ही जनवरी से अप्रैल 2026 के बीच 15 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दे चुकी है। NCSF का कहना है कि आगे चलकर 10 लाख टन अतिरिक्त निर्यात की अनुमति भी मिल सकती है, जिससे उद्योग को राहत मिलेगी।
MSP और इथेनॉल कीमतें
फेडरेशन ने कहा है कि यदि सरकार समय रहते अतिरिक्त 10 लाख टन निर्यात की इजाजत देती है तो इससे चीनी मिलों को वित्तीय मदद मिलेगी।
वर्तमान समय में मिलों पर दबाव इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि पिछले 6 वर्षों से चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। पिछले 3 वर्षों से इथेनॉल खरीद मूल्य भी स्थिर है। इन कारणों से मिलें आर्थिक दबाव झेल रही हैं।
NCSF के MD प्रकाश नाइकनवरे के अनुसार बेमौसम बारिश से जहां खरीफ की फसलों को नुकसान हुआ है, वहीं गन्ने का वजन बढ़ने की उम्मीद है, जिससे कुल उत्पादन बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के निर्यात अनुमोदन से घरेलू बाजार में चीनी के दाम कम नहीं होंगे।
उन्होंने आगे मांग रखी कि चीनी के MSP को एक्स-फैक्ट्री कीमतों के अनुरूप बढ़ाया जाए, चीनी-आधारित इथेनॉल की कीमत बढ़ाई जाए और इथेनॉल आवंटन में वृद्धि की जाए ताकि चीनी मिलों को आर्थिक स्थिरता मिल सके।
नई अनुमान रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौसम सहयोगी रहा और निर्यात नीति स्पष्ट बनी रही, तो चीनी उद्योग के लिए वर्ष 2025-26 एक मजबूत और संतुलित उत्पादन वाला साल साबित हो सकता है।
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