Amul Cooperative: इफ्को को पछाड़ अमूल बनी दुनिया की नंबर वन कोऑपरेटिव, 300 संस्थाओं में टॉप रैंक हासिल

मुंबई, 04 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): अमूल ने एक बार फिर भारत का नाम वैश्विक स्तर पर रोशन किया है। गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF-Amul) को ICA World Cooperative Monitor 2025 की रिपोर्ट में दुनिया की नंबर वन कोऑपरेटिव संस्था घोषित किया गया है।

यह रैंकिंग प्रति व्यक्ति जीडीपी प्रदर्शन (GDP per capita performance) के आधार पर तैयार की गई है। अमूल ने इस सूची में IFFCO (इफ्को) को पछाड़ते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया है। रिपोर्ट का ऐलान 3 नवंबर 2025 को कतर की राजधानी दोहा में आयोजित ICA CM-50 सम्मेलन में किया गया।

अमूल ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “हमें यह घोषणा करते हुए गर्व है कि नवीनतम ICA World Cooperative Monitor 2025 के अनुसार, अमूल को प्रति व्यक्ति जीडीपी प्रदर्शन के आधार पर दुनिया की नंबर वन कोऑपरेटिव संस्था का दर्जा प्राप्त हुआ है।”

अमूल और GCMMF: 50 साल की प्रेरक यात्रा
GCMMF ने हाल ही में अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे किए हैं। फरवरी 2024 में इसका गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन मनाया गया था। GCMMF का गठन 1973 में उस समय हुआ जब गुजरात के छह जिलों — खेड़ा, मेहसाणा, साबरकांठा, बनासकांठा, वडोदरा और सूरत — के दुग्ध उत्पादक किसानों को बाजार में अपने उत्पाद बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।

उस दौर में व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा था। इस स्थिति को बदलने के लिए इन जिलों के दुग्ध संघों के अध्यक्षों ने डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में मिलकर गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) की नींव रखी।
इस संस्था का उद्देश्य था — किसानों के उत्पाद के लिए एक सशक्त वितरण और विपणन नेटवर्क तैयार करना।

आज GCMMF के नेटवर्क में गुजरात के 18 जिला दुग्ध संघ शामिल हैं और इसका कारोबार ₹90,000 करोड़ से भी अधिक हो चुका है। यह संस्था आज 36 लाख से अधिक डेयरी किसानों से जुड़ी है, जिससे यह दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी कोऑपरेटिव संस्था बन चुकी है।

अमूल की कामयाबी के पीछे की सोच
अमूल के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता का कहना है कि अमूल की सफलता का रहस्य उसके उपभोक्ताओं की विविधता और ग्रामीण कनेक्शन में छिपा है। उनके अनुसार, “अमूल के कुल उपभोक्ताओं में 38% छोटे शहरों और गांवों से हैं। इसका मतलब है कि हम केवल शहरी ब्रांड नहीं, बल्कि भारत के हर हिस्से से जुड़े हैं।”

वहीं अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आर.एस. सोढ़ी ने कहा कि आज बाजार में उपभोक्ता स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को अधिक महत्व दे रहे हैं। उन्होंने बताया, “अमूल की सफलता की जड़ें उसकी स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट्स और किसानों से सीधी भागीदारी में हैं। ग्राहक आज भी वही ब्रांड पसंद करता है जो टेस्ट, न्यूट्रिशन और बजट — इन तीनों का संतुलन बनाए रखे।”

ICA वर्ल्ड कोऑपरेटिव मॉनिटर 2025 क्या है?
International Cooperative Alliance (ICA) द्वारा हर वर्ष प्रकाशित World Cooperative Monitor रिपोर्ट विश्वभर की शीर्ष सहकारी संस्थाओं का मूल्यांकन करती है। यह रिपोर्ट सालाना टर्नओवर, रोजगार योगदान, सदस्यता, GDP आधारित प्रदर्शन, और सामाजिक प्रभाव जैसे संकेतकों के आधार पर तैयार की जाती है।

2025 की रैंकिंग में अमूल ने न केवल भारत बल्कि दुनिया भर की 300 कोऑपरेटिव्स में पहला स्थान प्राप्त किया है।
रिपोर्ट में अमूल के मॉडल को “Inclusive Growth Through Cooperative Strength” का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया गया है।

अमूल की उपलब्धियों का सफर
– स्थापना वर्ष: 1973 (GCMMF की आधिकारिक शुरुआत)
– संस्थापक: डॉ. वर्गीज कुरियन
– नेटवर्क: 18 जिला दुग्ध संघ, 36 लाख किसान सदस्य
– वार्षिक कारोबार: ₹90,000 करोड़ से अधिक
– उपस्थिति: भारत के लगभग हर राज्य में 10,000+ अमूल आउटलेट्स
– निर्यात बाजार: 50+ देशों में दूध, चीज़, बटर, पाउडर और कन्फेक्शनरी उत्पादों की बिक्री

अमूल का यह वैश्विक सम्मान न केवल भारत की सहकारी ताकत का प्रमाण है, बल्कि यह दिखाता है कि “किसानों द्वारा, किसानों के लिए और किसानों के हित में” शुरू की गई पहल कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल बन सकती है। अमूल ने यह सिद्ध कर दिया है कि ग्राम स्तर की आर्थिक भागीदारी और पारदर्शी मॉडल से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है, बल्कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश को विश्व मानचित्र पर अग्रणी स्थान पर लाया जा सकता है।

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