नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक धरोहर का प्रतीक छठ महापर्व इस वर्ष केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि एक विशाल आर्थिक महोत्सव बनकर उभरा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अध्ययन के अनुसार, देशभर में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ है।

CAIT की रिपोर्ट बताती है कि इस वर्ष 10 करोड़ से अधिक लोगों ने छठ व्रत रखा और पूजा-अर्चना की, जिससे स्थानीय बाजारों से लेकर महानगरों तक व्यापारिक गतिविधियों में अभूतपूर्व उछाल देखा गया।

बिहार-झारखंड में 20 हज़ार करोड़ का व्यापार
बिहार और झारखंड छठ पर्व का केंद्र रहे हैं, जहां इस साल लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। दिल्ली में लगभग 8 हज़ार करोड़, बिहार में 15 हज़ार करोड़, और झारखंड में 5 हज़ार करोड़ रुपये का कारोबार दर्ज किया गया।

महानगरों तक फैला छठ का आर्थिक प्रभाव
CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि अब छठ का प्रभाव महानगरों और नए राज्यों तक फैल चुका है। दिल्ली-एनसीआर में बड़ी पूर्वांचली आबादी के कारण भारी खरीदारी दर्ज की गई। दिल्ली सरकार ने 1,500 घाटों की व्यवस्था की, जबकि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक और तेलंगाना में भी स्थानीय बाजारों में अभूतपूर्व मांग देखी गई।

‘स्वदेशी छठ’ अभियान से बढ़ी स्थानीय उत्पादों की मांग
खंडेलवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के आवाहन को लोगों ने उत्साहपूर्वक अपनाया।
देशभर में “स्वदेशी छठ अभियान” के तहत मिट्टी के बर्तन, बांस की टोकरी, ठेकुआ, गुड़ और केले की टोकरी जैसे उत्पादों की बिक्री में तेज़ उछाल देखा गया। इससे छोटे व्यापारियों, कारीगरों और स्थानीय निर्माताओं को सीधा लाभ मिला।

GST दरों में कटौती ने बढ़ाया व्यापारिक उत्साह
कैट रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री द्वारा घोषित जीएसटी बचत उत्सव 2025 के दौरान हुई GST दरों में कटौती का असर छठ पर्व की खरीदारी में स्पष्ट दिखा। दिवाली और छठ की संयुक्त उत्सवी भावना से खपत और मांग दोनों में वृद्धि हुई।

छठ से बढ़ा रोजगार भी
इस पर्व ने अस्थायी रूप से रोजगार सृजन में भी योगदान दिया। ठेकुआ निर्माताओं, अस्थायी दुकानदारों, नाविकों, सफाईकर्मियों, परिवहन कर्मियों और सुरक्षा स्टाफ के लिए अल्पावधि रोजगार के अवसर बने।

कुलमिलाकर, छठ महापर्व ने इस वर्ष न केवल आस्था को नई ऊंचाई दी बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाया। 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार के साथ, यह पर्व अब एक आर्थिक उत्सव के रूप में देश की समृद्धि और स्वदेशी भावना का प्रतीक बन गया है।

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