चंडीगढ़, 17 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करते हुए पंजाब प्रशासन ने पिछले दो दिनों में कुल 34 प्राथमिकी (FIR) दर्ज की हैं — इनमें 25 बुधवार को और 9 गुरुवार को दर्ज की गईं। इससे अब तक पराली जलाने के कुल मामले 115 तक पहुँच गए हैं।
इन दो दिनों में 9 भूमि अभिलेखों पर लाल प्रविष्टियाँ (Red Entries) जोड़ी गई हैं — बुधवार को 5 और गुरुवार को 4। इस प्रकार, अब तक कुल 59 लाल प्रविष्टियाँ दर्ज की जा चुकी हैं।
पर्यावरण मुआवजा और जुर्माना
दो दिनों में ₹90,000 का अतिरिक्त पर्यावरण मुआवजा लगाया गया, जिससे कुल जुर्माना बढ़कर ₹4.6 लाख हो गया है। अब तक ₹3.3 लाख की वसूली हो चुकी है, जिसमें पिछले दो दिनों में ₹40,000 शामिल हैं।
इसके अलावा, दो अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है, जिससे अब तक ऐसे मामलों की संख्या 67 हो गई है।
सभी FIR धारा 223 BNS (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) के तहत दर्ज की गई हैं।
राज्यभर में पराली जलाने के ताज़ा आंकड़े
– गुरुवार को राज्य में पराली जलाने की 12 नई घटनाएँ दर्ज की गईं, जिससे कुल संख्या बढ़कर 188 हो गई।
– पिछले 24 घंटों में पाँच जिलों में आग लगने की घटनाएँ सामने आईं —
– सबसे ज़्यादा 4 मामले तरनतारन जिले में दर्ज किए गए।
– 2025 में अब तक के आंकड़े पिछले दो वर्षों की तुलना में काफी कम हैं:
| वर्ष | 16 अक्टूबर तक मामले |
|---|---|
| 2023 | 1,388 |
| 2024 | 1,212 |
| 2025 | 188 |
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अनुसार, 16 अक्टूबर तक केवल 21.46% धान की कटाई हुई थी, जिससे आने वाले दिनों में और मामलों के बढ़ने की संभावना बनी हुई है।
जिलावार पराली जलाने के मामले (2025)
- अमृतसर: 76
- तरनतारन: 55
- पटियाला: 11
- फिरोज़पुर: 9
- संगरूर: 6
- बरनाला, कपूरथला: 5–5
- मलेरकोटला: 4
- गुरदासपुर: 3
- फाजिल्का, होशियारपुर, लुधियाना, एसएएस नगर: 2–2
- बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, जालंधर, मानसा, एसबीएस नगर: 1–1
छह राज्यों में पराली जलाने के कुल मामले (CREAMS डेटा)
‘कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAMS)’ के अनुसार 16 अक्टूबर तक भारत में कुल 889 पराली जलाने की घटनाएँ दर्ज की गईं —
- उत्तर प्रदेश: 403
- पंजाब: 188
- मध्य प्रदेश: 171
- राजस्थान: 96
- हरियाणा: 28
- दिल्ली: 3
इससे स्पष्ट है, उत्तर प्रदेश में पराली जलाने के मामले पंजाब से दोगुने हैं, जबकि मध्य प्रदेश की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। पराली जलाने पर सख्ती के बावजूद पंजाब में घटनाएँ थम नहीं रहीं। हालाँकि, पिछले वर्षों की तुलना में मामलों में 80% की कमी राहत देने वाली है। प्रशासनिक कार्रवाई, जुर्माना और निगरानी बढ़ाने से स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
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