लखनऊ, 4 दिसंबर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हुनर और लगन के आगे कोई चुनौती बड़ी नहीं होती। स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups – SHGs) से जुड़ी इन महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ रोज़गार के नए रास्ते खोले हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय संसाधनों के उपयोग का एक शानदार उदाहरण भी पेश किया है।
बेरी से बनी अनोखी चॉकलेट
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में महिलाओं के एक समूह ने एक ऐसा अभिनव प्रयोग किया है, जिसकी चर्चा दूर-दूर तक हो रही है। इस समूह ने स्थानीय रूप से पाए जाने वाले बेरी (Berries) का इस्तेमाल करके स्वादिष्ट और पौष्टिक चॉकलेट बनाना शुरू कर दिया है। अमूमन, लोग बेरी को सीधे ही खाते हैं या फिर उन्हें सूखने देते हैं। लेकिन इन महिलाओं ने इस साधारण फल को एक बाज़ार लायक उत्पाद (marketable product) में बदल दिया है। ये चॉकलेट न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि बेरी के कारण इनमें ज़रूरी विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर मात्रा में हैं। इस पहल से समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से मज़बूती मिली है। उनके बनाए उत्पादों को स्थानीय मेलों और बाज़ारों में खूब पसंद किया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है।
कबाड़ से की पार्क की सजावट
एक और प्रेरणादायक कहानी सोनभद्र ज़िले से सामने आई है, जहाँ महिलाओं के एक समूह ने ज़िले के एक पार्क को सजाने के लिए कबाड़ और अनुपयोगी चीज़ों (Scrap Materials) का शानदार इस्तेमाल किया है।
पर्यावरण अनुकूल कला: इन महिलाओं ने पुराने टायर, प्लास्टिक की बोतलें, टूटे-फूटे बर्तनों और अन्य बेकार चीज़ों को फेंकने के बजाय, उन्हें रंग-बिरंगे और आकर्षक कलाकृतियों में बदल दिया।
पार्क का कायाकल्प: इन कलाकृतियों का उपयोग करके पार्क को सजाया गया है, जिससे वह एक उबाऊ जगह से एक मनोरम और प्रेरणादायक स्थान में बदल गया है।
जागरूकता का संदेश: इस पहल ने लोगों को ‘रीसाइक्लिंग’ (Recycling) और कचरा प्रबंधन के महत्व के बारे में एक शक्तिशाली संदेश भी दिया है। अब यह पार्क न सिर्फ मनोरंजन का केंद्र है, बल्कि पर्यावरण जागरूकता का प्रतीक भी बन गया है।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
उत्तर प्रदेश की इन महिलाओं की कहानियाँ सिर्फ उत्पाद बनाने या पार्क सजाने तक सीमित नहीं हैं। यह कहानियाँ आत्मविश्वास, नवाचार (Innovation) और आत्मनिर्भरता की हैं।
सरकार और स्थानीय प्रशासन के समर्थन के साथ, ये स्वयं सहायता समूह (SHGs) न सिर्फ अपने परिवारों को सहारा दे रहे हैं, बल्कि पूरे समाज को यह दिखा रहे हैं कि ग्रामीण महिलाओं में कितनी अपार रचनात्मकता और उद्यमशीलता मौजूद है। बेरी चॉकलेट से लेकर कबाड़ की कलाकृतियों तक, उत्तर प्रदेश की महिलाएं सही मायने में ‘नए भारत’ की पहचान बन रही हैं।
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