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नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): सितंबर 2025 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई घटकर 0.13% पर आ गई, जो अगस्त में 0.52% थी। सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में गिरावट इस कमी की मुख्य वजह रही। यह गिरावट एक साल पहले के सितंबर में दर्ज 1.91% के आंकड़े की तुलना में भी काफी कम है।

सब्ज़ियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी गिरावट

खाद्य मुद्रास्फीति में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है। अगस्त में जहां यह 3.06% थी, वहीं सितंबर में यह बढ़कर 5.22% की अपस्फीति में बदल गई। सबसे बड़ी गिरावट सब्ज़ियों की कीमतों में रही, जिनकी दर सितंबर में -24.41% रही, जबकि अगस्त में यह -14.18% थी।

उद्योग मंत्रालय के अनुसार, अन्य विनिर्मित वस्तुओं, वस्त्रों और गैर-खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी स्थिरता रही है, जिससे WPI में और गिरावट देखने को मिली है। विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 2.33% रही, जबकि ईंधन और बिजली की श्रेणी में यह 2.58% रही।

विशेषज्ञों का अनुमान: आने वाले महीनों में और गिरावट संभव

बार्कलेज इंडिया की प्रमुख अर्थशास्त्री आस्था गुडवानी का कहना है कि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी के चलते थोक महंगाई में राहत मिल रही है। वहीं, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के पारस जसराय के मुताबिक, सितंबर में कोर मुद्रास्फीति 31 महीनों के उच्चतम स्तर 1.9% पर पहुंची, जो आभूषणों की कीमतों में 34.1% की वार्षिक वृद्धि के कारण हुई है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि मौजूदा तिमाही में थोक मुद्रास्फीति 0.02% पर स्थिर रही है, जो बीते आठ तिमाहियों में सबसे निचला स्तर है। आने वाले महीनों में अनुकूल आधार प्रभाव के कारण WPI फिर से कम नेगेटिव हो सकती है और अक्टूबर में यह -0.5% के करीब रहने की संभावना जताई गई है।

नीतिगत संकेत और खाद्य सुरक्षा पर सरकार का फोकस

PHDCCI के अनुसार, थोक महंगाई में नरमी का कारण है – मजबूत कृषि उत्पादन, खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति और वैश्विक कीमतों में स्थिरता। उन्होंने उम्मीद जताई कि खरीफ फसलों की कटाई और रबी फसलों की आवक से खाद्य मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में भी नियंत्रण में रहेगी।

खुदरा महंगाई भी आठ साल के न्यूनतम स्तर पर

सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 1.5% रह गई, जो आठ वर्षों में सबसे कम स्तर है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखा है। आने वाले महीनों में इसमें 25 आधार अंकों की कटौती संभव है, बशर्ते आर्थिक आँकड़े इसकी अनुमति दें।

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