Urea Shortage Alert: देश में बढ़ सकती है यूरिया की किल्लत, इस साल खपत 400 लाख टन पार करने की संभावना

नई दिल्ली, 3 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देश में यूरिया की खपत तेज़ी से बढ़ रही है, जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भारत में यूरिया की खपत 400 लाख टन से अधिक होने की संभावना है — जो घरेलू उत्पादन क्षमता से करीब 100 लाख टन अधिक है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में यूरिया की खपत 388 लाख टन रही थी, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर था। चालू वर्ष में बेहतर मानसून और रबी फसलों के बढ़े रकबे के कारण यह खपत नए रिकॉर्ड को छू सकती है।

स्टॉक में भारी गिरावट से बढ़ी चिंता
रबी सीजन की शुरुआत कम यूरिया स्टॉक के साथ हुई है। 1 अक्टूबर 2024 को देश में यूरिया का स्टॉक 63 लाख टन था, जबकि 1 अक्टूबर 2025 तक यह घटकर केवल 37 लाख टन रह गया। खरीफ सीजन के दौरान देश के कई हिस्सों में यूरिया की किल्लत की खबरें आई थीं, जिससे रबी सीजन में आपूर्ति की चिंता और बढ़ गई है।

उत्पादन क्षमता बढ़ी लेकिन खपत और तेज़
पिछले कुछ वर्षों में देश में कई नए यूरिया संयंत्र शुरू हुए हैं, जिनमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि, उत्पादन खपत की रफ्तार के मुकाबले धीमा है। वर्ष 2023-24 में उत्पादन 314 लाख टन था, जो 2024-25 में घटकर 306 लाख टन रह गया। 2025 (अप्रैल-सितंबर) में यूरिया उत्पादन 5.6% घटा है। नए संयंत्रों के बावजूद कुल उत्पादन क्षमता अभी 300-310 लाख टन के बीच सीमित है।

नए संयंत्र और बंद इकाइयां

➤ नई उत्पादन इकाइयां:

  • चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स, गडेपान (राजस्थान)
  • रामागुंडम फर्टिलाइजर्स, तेलंगाना
  • मैटिक्स फर्टिलाइजर्स, पानागढ़ (प. बंगाल)
  • हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन के संयंत्र: गोरखपुर (UP), सिंदरी (झारखंड), बरौनी (बिहार)

इन छह संयंत्रों से 13 लाख टन की अतिरिक्त वार्षिक क्षमता जुड़ी है।

➤ बंद इकाइयां:

  • नागार्जुन फर्टिलाइजर्स (काकीनाडा, आंध्र प्रदेश)
  • कानपुर फर्टिलाइजर्स (पनकी, उत्तर प्रदेश)

इन बंद इकाइयों के कारण देश की कुल क्षमता में करीब 19 लाख टन की कमी आई है।

कम कीमत भी बढ़ा रही है खपत
यूरिया की कीमत अन्य उर्वरकों की तुलना में आधे से भी कम है। सरकार ने जनवरी 2015 से यूरिया का MRP ₹5628 प्रति टन तय कर रखा है। कीमतों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने के लिए सरकार सब्सिडी देती है। नीम-कोटिंग और बैग साइज 50 किलो से घटाकर 45 किलो करने जैसे उपायों के बावजूद खपत में कोई खास कमी नहीं आई है।

डीएपी और कॉम्पलेक्स उर्वरक भी दबाव में
यूरिया के बाद देश में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला उर्वरक डीएपी (डाय अमोनियम फॉस्फेट) है, जिसकी कीमत ₹27,000 प्रति टन है। डीएपी की आपूर्ति में कमी के चलते किसान कॉम्पलेक्स और फॉस्फेटिक उर्वरकों की ओर बढ़े हैं। फिर भी, कम कीमत और राजनीतिक संवेदनशीलता के कारण यूरिया की मांग में कमी की संभावना नहीं दिखती।

उद्योग सूत्रों का कहना है कि आने वाले वर्षों में यूरिया की खपत 450 लाख टन तक पहुंच सकती है, यदि नीति-स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। ऐसे में सरकार के सामने दो विकल्प हैं – घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि, या आयात पर निर्भरता बढ़ाना।दोनों ही स्थितियों में सब्सिडी बोझ और अंतरराष्ट्रीय कीमतों का दबाव बढ़ने की संभावना है।

===

हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:

https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45

शेयर :

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

संबंधित श्रेणी न्यूज़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें

ताज़ा न्यूज़

विज्ञापन

विशेष न्यूज़

Stay with us!

Subscribe to our newsletter and get notification to stay update.

राज्यों की सूची