लखनऊ, 25 नवम्बर, 2025 (कृषि भूमि ब्यूरो): उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक बहुप्रतीक्षित और बड़ी राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का दायरा बढ़ाते हुए अब जंगली जानवरों द्वारा फसलों को पहुँचाए गए नुकसान को भी बीमा कवरेज में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए इसे प्रदेश के लाखों किसानों के लिए अभूतपूर्व कदम बताया है।
PMFBY में दो बड़े जोखिम हुए शामिल
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की लंबे समय से चली आ रही माँग को स्वीकार करते हुए PMFBY में दो बड़े बदलाव किए हैं:
जंगली जानवरों से फसलों की क्षति: अब जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण जैसे जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुँचाने पर किसानों को बीमा क्लेम मिल सकेगा।
अतिवृष्टि से जलभराव/बाढ़: भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भरने या जलभराव से होने वाली फसल क्षति को भी अब योजना में शामिल किया गया है।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सोशल मीडिया पर इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि, “उत्तर प्रदेश में जंगली पशुओं, विशेषकर नीलगाय (Nilgai) और जंगली सूअर से होने वाली फसल क्षति एक गंभीर समस्या थी, जिसका नुकसान किसान को अकेले उठाना पड़ता था। केंद्र का यह निर्णय किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।”
कब से मिलेगा लाभ और दावा प्रक्रिया
यह नई व्यवस्था खरीफ 2026 के मौसम से लागू होगी। किसानों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपनी फसल का बीमा अवश्य कराना चाहिए।
क्षतिपूर्ति दावा करने की प्रक्रिया:
सूचना का समय: फसल को नुकसान होने के 72 घंटे के भीतर किसानों को इसकी सूचना संबंधित विभाग या बीमा कंपनी को देनी होगी।
डिजिटल रिपोर्टिंग: किसानों को क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के माध्यम से नुकसान की सूचना देनी होगी।
भू-टैग फोटो अनिवार्य: क्लेम दर्ज करते समय जियो-टैग की गई (Geo-tagged) तस्वीरें अपलोड करना अनिवार्य होगा, जिसमें नुकसान की जगह और स्थिति स्पष्ट हो।
राज्य सरकार की भूमिका: राज्य सरकारें उन क्षेत्रों की पहचान करेंगी जो जंगली जानवरों से सबसे अधिक प्रभावित हैं और नुकसान पहुँचाने वाले विशिष्ट जानवरों की एक सूची भी जारी करेंगी।
यह डिजिटल प्रक्रिया क्लेम निपटान को अधिक पारदर्शी, सटीक और समय पर पूरा करने में मदद करेगी।
किसानों की लंबे समय से थी माँग
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पहले चक्रवात, ओलावृष्टि, सूखा, बाढ़ और कीटों के हमले जैसे प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कवर करती थी। हालांकि, जंगली जानवरों के हमले और अत्यधिक जलभराव जैसे दो प्रमुख जोखिम इसमें शामिल नहीं थे।7 यह समस्या उन लाखों किसानों के लिए विकट थी जिनकी जमीनें जंगल या नदी के किनारे हैं। इस ऐतिहासिक फैसले से अब तूफान, सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि और जंगली पशुओं से होने वाले लगभग सभी नुकसान की भरपाई सुनिश्चित की जा सकेगी।
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