CISHकी इस नई तकनीक से विदेशों में बढ़ेगा आम का निर्यात

यूं तो भारत में आम का सबसे अधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है लेकिन अधिक उत्पादन के बावजूद बाहरी देशों में निर्यात का पर्सेंटेज कम है।आम के कुल उत्पादन का चार से पांच फ़ीसद ही आम निर्यात होता है। आम की निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा एक खास तकनिक विकसित की है। इस तकनीक से न सिर्फ निर्यात बढ़ेगा बल्कि आम की शेल्फ लाइफ भी बढ़ जाएगी।

35 दिन तक बढ़ जाएगी शेल्फ लाइफ 

आम के निर्यात में वृद्धि के लिए दूसरे देशों के निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार फलों की गुणवत्ता में सुधार के लिए संस्थान के द्वारा ‘फसल प्रभात’ तकनीक और फलों की शेल्फ लाइफ को 35 दिन तक बढ़ाने के लिए मेटवास तकनीक विकसित की गई है।

किसानों की आमदनी में इजाफा

इस तकनीकी की मदद से आम के निर्यात में आ रही समस्या का समाधान होगा। इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा समुद्री मार्ग से एपिडा के सहयोग से प्रोटोकॉल पर काम किया जा रहा है।

अंबिका नाम से एक आम की किस्म विकसित

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के द्वारा अंबिका नाम से एक आम की किस्म विकसित की गई है जिसे आम्रपाली और जनार्दन पसंद को मिलाकर तैयार किया गया है। आम की यह किस्म लगातार फल और अधिक उपज देने वाली किस्म है। यह किस्म देर से पकाने वाली किस्म भी है। इस किस्म में मेंगीफेरिन तत्व पाया जाता है जो सेहत के लिए विशेष फायदेमंद है।

लगातार फल और अधिक उपज देने वाली किस्म

सागरिका आम की एक नियमित फल देने वाली किस्म है जो लवणीय या उसर भूमि में भी 20 किलोग्राम प्रति पौधे तक उपज देती है। इस किस्म के फल आकार में छोटे, आकर्षक, पीले रंग के ठोस, रेशेदार और गहरे पीले गूदे वाले हैं।

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