अहमदाबाद, 08 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क (Tariff) को चरणबद्ध रूप से 25% से बढ़ाकर अब कुल 50% करने के निर्णय से गुजरात (Gujarat) सहित भारत (India) के मसाला निर्यात पर अल्पकालिक असर पड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) द्वारा 1 अगस्त से यह नया शुल्क लागू किया गया है।
निर्यात (Export) क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय दीर्घकालिक रूप से भारतीय मसाला उद्योग को प्रभावित नहीं करेगा, हालांकि अल्पावधि में 10-20 प्रतिशत तक की गिरावट देखी जा सकती है। मुंबई स्थित अग्रणी निर्यातकों के अनुसार, यह प्रभाव अस्थायी होगा और मसाला कारोबार पर गहरा प्रभाव डालने की संभावना नहीं है।
गुजरात के संदर्भ में
गुजरात से जीरा, इसबगोल, सौंफ, मेथी जैसे मसालों का अमेरिका को निर्यात होता है, किंतु इनका अनुपात अपेक्षाकृत कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी एक-दो माह के लिए निर्यात में कुछ सुस्ती आ सकती है, परंतु इसके दीर्घकालिक परिणाम चिंताजनक नहीं हैं।
मूल्य वृद्धि से अमेरिका को अधिक नुकसान
जीरे जैसे उत्पाद, जिनका निर्यात मूल्य वर्तमान में लगभग 3000 डॉलर प्रति टन है, उस पर 50% टैरिफ लागू होने से कीमत 4500 डॉलर तक पहुंच जाएगी। इससे अमेरिकी ग्राहकों पर बोझ बढ़ेगा और अमेरिकी बाजार में महंगाई को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका व्यावसायिक भार भारत की अपेक्षा अमेरिका पर अधिक पड़ेगा।
किसानों को घबराने की आवश्यकता नहीं
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए किसानों या व्यापारियों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। कई निर्यातक इस विषय को अत्यधिक तूल दे रहे हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जून से अगस्त के बीच अमेरिका और यूरोप में अवकाश का मौसम होता है, जिसके कारण व्यापार सामान्यतः मंद रहता है। सितंबर से मांग में पुनः तेजी आने की संभावना है।
हालांकि अमेरिका की बढ़ी हुई टैरिफ दरें निर्यात को अल्पकालिक रूप से प्रभावित कर सकती हैं, परंतु दीर्घकाल में इसका कोई गहरा प्रभाव नहीं देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मत है कि मसाला निर्यात अपनी पूर्ववर्ती स्थिति में शीघ्र लौटेगा और भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बनी रहेगी।
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