कम ठंडे इलाकों में भी किसानों को मालामाल बना सकती है स्ट्रॉबेरी

किसानों ने अब सीजनल फसलों के साथ साथ कई अन्य फसलों की खेती करना भी शुरु कर दिया है। फसलों के साथ साथ किसान अब अलग अलग फलों की खेती करने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसा ही एक फल है स्ट्रॉबेरी। स्ट्रॉबेरी जो अधिकतर ठंडे इलाकों मे पाई जाती है। इसकी खेती से किसानों को लाखों का मुनाफा हो रहा है।

पहले इसकी खेती महज़ उत्तराखंड और कश्मीर जैसे ठंडे इलाकों मे होती थी वही अब इसकी खेती कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश मे भी देखने को मिलती है।

कैसे कर सकतें हैं स्ट्रॉबेरी की खेती?

स्ट्रॉबेरी की खेती साल के अंत में शुरु होती है। इसकी बुवाई के लिएं सितंबर, अक्टूबर के महीने को सर्वोत्तम माना गया है। बुवाई से एक महीने पहले खेतों की अच्छी तरह से जुताई की जाती है। इसके बाद खेतो मे गोबर की खाद और कीटनाशक का उपयोग किया जाता है।

कौन सी मिट्टी का करें इस्तेमाल?

जिसके बाद खेतो मे क्यारियां बनाई जाती है। क्यारियां बनाने के बाद उसमे पाइपलाइन की वव्यस्था की जाती है । स्ट्रॉबेरी की खेती के लिएं 5 से 6 pH वैल्यू वाली मिट्टी को सर्वोत्तम माना जाता है। इसकी खेती के लिएं दोमट मिट्टी का उपयोग किया जाता है। वही 7 से 28 डिग्री का टेंपरेचर इसकी बुवाई के लिएं सबसे अच्छा माना जाता है।

कहा कहा होता है इसका उपयोग?

तो स्ट्रॉबेरी को बच्चो से लेकर युवा सभी लोग पसंद करते हैं। इसकी आइसक्रीम को हर कोइ चाव से खाता है। स्ट्रॉबेरी का उपयोग जैम और केक बनाने मे भी किया जाता है।

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