मुंबई: घरेलू वायदा बाजार में चांदी ने ऐतिहासिक ऊंचाई को छूते हुए ₹1,15,000 प्रति किलो का स्तर पार कर लिया है। यह चांदी की अब तक की सबसे ऊंची कीमत है, जो निवेशकों और व्यापारियों के बीच उत्साह का कारण बन रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गोल्ड-सिल्वर रेशियो में लगभग 20% की गिरावट दर्ज की गई है। इसका मतलब है कि निवेशकों का रुझान तेजी से चांदी की ओर बढ़ रहा है, जो इसे सोने की तुलना में ज्यादा आकर्षक बना रहा है।
मुख्य कारण:
- टैरिफ और ट्रेड वॉर का डर: अमेरिका और चीन समेत कई देशों के बीच व्यापारिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे कीमती धातुओं की मांग बढ़ रही है।
- जियो-पॉलिटिकल टेंशन: रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान-इजराइल विवाद और पश्चिम एशिया में बढ़ती अस्थिरता जैसे भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से निवेशकों का झुकाव सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर बढ़ा है, जिनमें चांदी प्रमुख है।
- उद्योगों में बढ़ती मांग: इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल और ऑटोमोबाइल सेक्टर में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे सप्लाई पर दबाव बढ़ा है।
भविष्य की संभावनाएं:
कमोडिटी विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 3 वर्षों में चांदी की कीमत दोगुनी हो सकती है। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और औद्योगिक मांग में वृद्धि के चलते यह संभव है कि चांदी ₹2,00,000 प्रति किलो के स्तर को भी छू सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह:
निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे चांदी में लंबी अवधि के लिए निवेश करें, क्योंकि यह आने वाले वर्षों में अच्छा रिटर्न देने की संभावना रखती है। हालांकि, बाजार में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक निवेश जरूरी है।