मुंबई, 05 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद आज एक बड़ा फैसला सामने आया। RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। यह फैसला गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जारी किया। नई कटौती के बाद रेपो रेट अब 5.25 प्रतिशत रह गई है। अगस्त और अक्टूबर की मीटिंग में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इसे 5.5 प्रतिशत पर ही जस का तस छोड़ा गया था।
केंद्रीय बैंक ने यह कदम महंगाई में आई हालिया नरमी और आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देने के उद्देश्य से उठाया है। MPC का यह निर्णय बहुमत से पारित हुआ।
महंगाई में राहत ने दर कटौती के लिए रास्ता बनाया
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में हेडलाइन इन्फ्लेशन में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जबकि कोर इन्फ्लेशन भी RBI के कम्फर्ट ज़ोन के करीब पहुंचा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक कमोडिटी कीमतों में स्थिरता, बेहतर फसल अनुमान और घरेलू मांग में संतुलन ने मौद्रिक राहत के लिए अनुकूल माहौल बनाया। RBI का अनुमान है कि आगामी तिमाही में CPI महंगाई और नीचे जा सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए दर कटौती एक सही कदम है।
EMI घटने का रास्ता साफ: होम और ऑटो लोन सस्ते
रेपो रेट में 0.25% की कटौती का सीधा असर देशभर के लाखों लोन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। गवर्नर ने बताया कि अधिकांश बैंकों के ऋण EPIPE–Repo Linked Lending Rate (RLLR) पर आधारित होते हैं, इसलिए ब्याज दरों में कमी आने से EMI घटने लगेगी।
होम लोन: नई दरें लागू होने के साथ ही होमbuyers को राहत मिलेगी। लंबे कार्यकाल वाले होम लोन पर EMI में अच्छी-खासी कमी की उम्मीद है। मिडल-क्लास और पहली बार घर खरीदने वालों को इसका फायदा मिलेगा।
ऑटो लोन: ऑटो सेक्टर, जो पिछले कुछ महीनों में डिमांड दबाव झेल रहा था, इस कटौती से रफ्तार पकड़ सकता है। कम EMI से कार और टू-व्हीलर की बिक्री को बढ़ावा मिल सकता है।
पर्सनल लोन: हालांकि पर्सनल लोन आमतौर पर अधिक जोखिम वाले होते हैं, लेकिन कुछ ब्याज राहत यहां भी देखने को मिल सकती है—खासकर RLLR लिंक्ड खातों में।
आर्थिक विकास को गति देने का प्रयास
संजय मल्होत्रा ने कहा कि “भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बुनियाद पर खड़ी है, लेकिन निजी निवेश को और प्रोत्साहित करने और खपत को संतुलित रखने के लिए मौद्रिक नीति में लचीलापन जरूरी था।” RBI ने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के अनुमानों को स्थिर रखा है और उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2025–26 में ग्रोथ मजबूत बनेगी।
वैश्विक आर्थिक संकेतक भी निर्णय के पीछे
दुनिया भर के कई केंद्रीय बैंक 2025 में धीमी आर्थिक गतिविधि और नियंत्रित महंगाई के बीच ब्याज दरों को स्थिर या कम कर रहे हैं। अमेरिका, यूरोप और एशिया की मौद्रिक नीतियों में नरमी ने भी RBI को दरें घटाने के लिए अधिक नीति-स्थान उपलब्ध कराया।
RBI ने संकेत दिया कि भविष्य की मौद्रिक कार्रवाई आने वाले महीनों में महंगाई के स्वरूप, कृषि उत्पादन, कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों, और घरेलू मांग की स्थिति पर निर्भर करेगी। गवर्नर ने कहा कि वर्तमान नीति रुख “withdrawal of accommodation” से “neutral” की ओर बढ़ने का संकेत है, ताकि ग्रोथ और स्थिरता के बीच संतुलन कायम रखा जा सके।
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