नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (कृषि भूमि डेस्क): देशभर के खेतों में फिर से रौनक लौटने वाली है। खरीफ फसलों की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है और किसान अब रबी सीजन की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। इस बार किसानों की नजर ऐसी फसलों पर है जो कम मेहनत में अधिक मुनाफा दे सकें।
खेतों में जल्द ही ट्रैक्टरों की आवाज और बीज बोने की चहल-पहल शुरू होने वाली है। बदलते मौसम और तैयार मिट्टी के साथ किसान नई उम्मीदों के साथ गेहूं, चना, सरसों, आलू और मटर जैसी रबी फसलों की तैयारी कर रहे हैं।
गेहूं (Wheat): खाद्य सुरक्षा की रीढ़
भारत की सबसे अहम रबी फसल गेहूं है। इसकी बुवाई का सबसे अच्छा समय नवंबर माह माना जाता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पूसा यशस्वी, करण वंदना और डीडीडब्ल्यू-47 जैसी उन्नत किस्में अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता देती हैं। इन किस्मों से किसानों को न केवल अच्छा उत्पादन, बल्कि उच्च बाजार मूल्य भी मिल सकता है।
चना (Gram): मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने वाली फसल
चना रबी सीजन की सबसे लोकप्रिय फसलों में से एक है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पूसा-256 और गुजरात चना-4 किस्में अधिक उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में बेहतर हैं। चना की खेती से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है।
सरसों (Mustard): किसानों की ‘सोने की फसल’
भारत के कई राज्यों में किसान अब सरसों की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। ठंडा मौसम इस फसल के लिए आदर्श होता है। इसके तेल, खली और पत्तियों की हमेशा बाजार में उच्च मांग रहती है। कम सिंचाई और कम लागत में अधिक मुनाफा देने के कारण सरसों किसानों के लिए फायदेमंद विकल्प बन चुकी है।
आलू (Potato): बढ़ती मांग, बेहतर कमाई
रबी सीजन में आलू की खेती किसानों के लिए लगातार मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। देश के कई राज्यों में कुफरी चिप्ससोना और राजेंद्र आलू जैसी किस्मों की पैदावार अच्छी मिल रही है। अगर मिट्टी की सही तैयारी और समय पर सिंचाई की जाए तो आलू किसानों की आमदनी को दोगुना कर सकता है।
मटर (Pea): सब्जी और दाल दोनों का लाभ
मटर एक ऐसी फसल है जो किसान को दोहरा फायदा देती है — सब्जी के रूप में भी और दाल के रूप में भी। यह 6 से 7.5 पीएच वाली दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह पनपती है। आर्केल, लिंकन और पूसा प्रभात किस्में उत्तर भारत सहित देश के कई हिस्सों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं।
कृषि विभाग के अनुसार, किसानों को पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वैकल्पिक फसलों पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि मौसम और बाजार दोनों का लाभ उठाया जा सके।
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