अमृतसर, 22 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): पंजाब में धान की खरीद सीजन के बीच किसानों को नमी और झूठी स्मट (फसल का काला पड़ना) के कारण एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर भारी कटौती का सामना करना पड़ रहा है। राज्य की अधिकांश मंडियों में किसानों को 50 रुपये से लेकर 500 रुपये प्रति क्विंटल तक की कटौती झेलनी पड़ रही है।
अमृतसर की जंडियाला मंडी में एक किसान ने बताया कि उसने दो दिन इंतज़ार करने के बाद अपनी फसल 2,389 रुपये प्रति क्विंटल के घोषित एमएसपी की जगह 2,283 रुपये प्रति क्विंटल पर बेची। उनका कहना है, “हमारी गलती नहीं कि मौसम बरसाती और उमस भरा रहा। इसके बावजूद हमें कम दामों में फसल बेचनी पड़ी।”
भगता वाला मंडी में एक किसान ने बताया कि उनको अपनी उपज के लिए 250 रुपये प्रति क्विंटल कम मिले। उन्होंने कहा, “धान का छिलका काला पड़ा है, लेकिन अनाज बिल्कुल ठीक है। फिर भी आढ़ती कटौती कर रहे हैं। हम किसानों के पास कोई विकल्प नहीं बचता।”
एक किसान को 2,139 रुपये प्रति क्विंटल की दर से फसल बेचनी पड़ी। कई किसानों को 100, 300, और कुछ को 500 रुपये तक की कटौती झेलनी पड़ी।
कृषि अधिकारियों के मुताबिक, इस साल फसलों में “उच्च नमी” और “झूठी स्मट” का असर ज़्यादा है, जिससे धान के दाने और छिलके काले पड़ गए हैं। फ़ाज़िल्का, बठिंडा, और पटियाला की मंडियों में भी यही स्थिति है। एक अन्य किसान ने बताया, “मेरी 100 क्विंटल उपज में से आढ़ती केवल 92 क्विंटल का भुगतान कर रहे हैं। इस तरह हम दोगुना नुकसान झेल रहे हैं — पहले कटाई का, फिर कटौती का।”
पटियाला मंडियों के किसानों ने आरोप लगाया कि आढ़तियों के नमी मापने वाले उपकरण खराब हैं और वे नमी की मात्रा ज़्यादा दिखाते हैं। कई किसानों ने दावा किया कि यह “मनमानी और शोषण का मामला” है।
एक स्थानीय आढ़ती ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मौसम में भारी उतार-चढ़ाव के कारण किसान परेशान हैं, लेकिन सरकारी एजेंसियाँ नमी के मानदंडों में कोई ढील नहीं दे रहीं। सरकार को तुरंत इस सीजन के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने चाहिए।”
किसानों का कहना हैं कि यह सिर्फ़ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि भरोसे का भी नुकसान है। जब सरकार एमएसपी तय करती है, तो हमें उम्मीद होती है कि हमें वही कीमत मिलेगी। लेकिन मंडियों में हमें मजबूरी में कम दाम स्वीकार करने पड़ते हैं।