Uttarakhand: खटीमा में ग्रीष्मकालीन धान की खेती के लिए अनुमति, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

खटीमा : उत्तराखंड (Uttarakhand)के उधम सिंह नगर जिले में भूजल स्तर गिरने की समस्या लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। प्रशासन ने इस समस्या के समाधान के लिए जिले में ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि इसे भूजल के अत्यधिक दोहन का एक प्रमुख कारण माना जाता है। हालांकि, किसानों की मांग और उनकी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस साल के लिए ग्रीष्मकालीन धान की खेती को अनुमति देने का निर्णय लिया है।

मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने गृह क्षेत्र खटीमा पहुंचे, जहां पत्रकारों ने उनसे इस मुद्दे पर सवाल किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि कृषि विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर शोध हो रहे हैं, जिनसे नई जानकारियां सामने आ रही हैं। इन्हीं शोधों के अनुसार, उधम सिंह नगर जिले में भूजल स्तर में गिरावट का एक बड़ा कारण ग्रीष्मकालीन धान की खेती पाई गई थी, जिस कारण प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी थी।

किसानों की मांग और सरकार का फैसला

सीएम धामी (CM Dhami)ने कहा कि जब प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर रोक लगाई तो किसानों को इस फैसले से भारी परेशानी हुई। किसान प्रतिनिधिमंडलों ने उनसे कई बार मुलाकात की और अपनी समस्याओं को सामने रखा। उन्होंने बताया कि यदि इस साल ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर रोक जारी रही, तो कई खेत बिना फसल के रह जाएंगे, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। किसानों ने आश्वासन दिया कि अगले साल से वे इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।

किसानों की कठिनाइयों को समझते हुए और उनकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस साल के लिए ग्रीष्मकालीन धान की खेती की अनुमति देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय अस्थायी है और भविष्य में किसानों को वैकल्पिक खेती की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

भविष्य में वैकल्पिक खेती पर जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संकट की गंभीरता को समझते हुए, किसानों को जल्द ही वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करना होगा, जो भूजल पर कम निर्भर हों और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाएं। सरकार और प्रशासन इस दिशा में किसानों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाना बेहद जरूरी है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी जल संसाधन उपलब्ध हो सकें।

सरकार के इस निर्णय से किसानों को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन प्रशासन और कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर दीर्घकालिक समाधान निकालना होगा। इसी दिशा में शोध और योजनाएं तैयार की जा रही हैं।

खटीमा क्षेत्र में जल संकट की गंभीरता

उधम सिंह नगर जिला, विशेष रूप से खटीमा क्षेत्र, उत्तराखंड का वह हिस्सा है जहां धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। धान की फसल को उगाने के लिए भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जो इस क्षेत्र के भूजल स्तर को तेजी से प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीष्मकालीन धान की खेती के कारण जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे भविष्य में पीने के पानी और अन्य कृषि आवश्यकताओं के लिए संकट उत्पन्न हो सकता है।

इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने पिछले साल इस पर रोक लगाने का फैसला किया था, लेकिन किसानों की समस्याओं और उनकी आजीविका को ध्यान में रखते हुए इस साल कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी गई है।

प्रशासन की योजना और किसानों के लिए नए विकल्प

प्रशासन अब किसानों को जल संरक्षण तकनीकों और वैकल्पिक फसलों की ओर मोड़ने के लिए योजनाएं बना रहा है। सरकार और कृषि विभाग मिलकर किसानों को ऐसी फसलें उगाने के लिए प्रेरित करेंगे, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार दे सकें।

इसके लिए किसानों को जैविक खेती, दलहन, तिलहन, और अन्य जल-संरक्षण वाली फसलों की ओर प्रेरित किया जाएगा। साथ ही, माइक्रो इरिगेशन (ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम) जैसी जल-बचत तकनीकों को अपनाने के लिए सब्सिडी और सहायता दी जाएगी।

किसानों की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर किसानों ने राहत की सांस ली है। उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा कि इस फैसले से उन्हें आर्थिक नुकसान से बचने में मदद मिलेगी। किसानों ने यह भी आश्वासन दिया कि वे भविष्य में प्रशासन के साथ मिलकर ऐसे समाधान खोजने में सहयोग करेंगे, जिससे जल संकट की समस्या का हल निकाला जा सके।

किसान नेता राजेश सिंह ने कहा, “हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह सही है कि जल स्तर नीचे जा रहा है, लेकिन हमारी आजीविका भी दांव पर थी। हम आश्वस्त करते हैं कि हम भविष्य में ऐसे तरीकों को अपनाएंगे, जो पर्यावरण के अनुकूल हों।”

सरकार की चेतावनी और आगे की रणनीति

हालांकि सरकार ने इस साल के लिए छूट दी है, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया कि यह छूट स्थायी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से वैकल्पिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे और किसान भी इस दिशा में तैयारी करें। सरकार इस विषय पर किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाएगी और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराएगी।

सरकार का यह फैसला किसानों और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब यह देखना होगा कि किसान वैकल्पिक खेती की ओर किस हद तक कदम बढ़ाते हैं और प्रशासन उनके लिए किस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराता है। यदि सही दिशा में प्रयास किए गए, तो आने वाले वर्षों में उधम सिंह नगर जिले में जल संकट को नियंत्रित करने में सफलता मिल सकती है।

 

 

शेयर :

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें

ताज़ा न्यूज़

विज्ञापन

विशेष न्यूज़

Stay with us!

Subscribe to our newsletter and get notification to stay update.

राज्यों की सूची

Krishi-Vision 2047

Cultivating a Sustainable Future

Join the movement to shape climate-resilient agriculture in Bharat. Meet policymakers, scientists, and farmers at Krishi-Vision 2047 a powerful day of ideas, innovation, and impact.