नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): घरेलू मंडियों में मटर (Peas) के भाव इस सप्ताह स्थिर बने हुए हैं। फिलहाल मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना हुआ है, लेकिन व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि दीपावली के बाद कीमतों पर दबाव बन सकता है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं- सरकार द्वारा ड्यूटी-फ्री आयात की अनुमति का जारी रहना, और नई फसल की सप्लाई का धीरे-धीरे बाजार में आना।
वर्तमान बाजार स्थिति
उत्तर भारत की मंडियों में हरे मटर की कीमतें ₹4,800 से ₹5,400 प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं, जबकि सूखे मटर (ड्राय येलो पीज) ₹5,200–₹5,800 प्रति क्विंटल के स्तर पर हैं। व्यापारियों के अनुसार, मौजूदा मांग त्योहारी सीज़न की वजह से बनी हुई है, जिससे कीमतें फिलहाल टिके हुए हैं।
ड्यूटी-फ्री आयात से बढ़ेगी आपूर्ति
सरकार ने 2024–25 के लिए मटर के आयात पर सीमा शुल्क हटाया है, ताकि घरेलू उपलब्धता बनी रहे और कीमतों में अनियंत्रित तेजी न आए। इस फैसले से कनाडा, रूस और यूक्रेन से मटर के आयात में वृद्धि हुई है, जो आने वाले समय में बाजार पर दबाव डाल सकता है।
नई फसल की संभावना और कीमतों पर असर
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में रबी सीज़न की बुवाई शुरू हो चुकी है। किसान मटर की खेती की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, क्योंकि पिछली बार अच्छे भाव मिले थे। यदि मौसम अनुकूल रहा, तो नवंबर के अंत तक नई हरी मटर की आवक शुरू हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आयात और घरेलू नई सप्लाई के दोहरे प्रभाव से नवंबर के तीसरे सप्ताह से कीमतों में गिरावट की संभावना है। थोक व्यापारियों को सलाह दी जा रही है कि वे स्टॉकिंग में सतर्कता बरतें।
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