छत्तीसगढ़ में धान किसानों को मिला बकाया बोनस, अब मप्र सरकार पर बढ़ा पैसा बढ़ाने का दबाव

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने धान किसानों का बकाया बोनस दिया है। वहीं एमएसपी पर उपज की खरीद सुनिश्चित करने की मांग को लेकर पंजाब के किसानों का आंदोलन केंद्र की भाजपा नीत नरेंद्र मोदी सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है। केंद्र सरकार यह तर्क देकर इस मांग की अनदेखी कर रही है कि एमएसपी की गारंटी देने से अर्थव्यवस्था पर असहनीय बोझ पड़ेगा। छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने जीत हासिल की है, हाल ही में एमपी और राजस्थान में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों को गेहूं और धान की एमएसपी पर बोनस देने का भी वादा किया गया था। जिसके बाद अब किसानों को बकाया बोनस मिलने लगा है। प्रदेश के किसानों को गारंटी के रूप में सरकार ने 3100 रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ सीजन में किसानों से 04 फरवरी को संपन्न हुए धान उपार्जन के बाद किसानों को बकाया बोनस का पैसा भी मिलना शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा बताया गया कि चुनावी वायदे के अनुरूप किसानों से 3100 रूपए प्रति क्विंटल प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदा गया है। इसमें 2185 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के अलावा 915 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया गया है।

बैंकों में आया पैसा

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के दंतेवाड़ा जिले के गीदम गांव के रहने वाले किसान पूरनचंद सोनी ने बताया कि उन्हें इस साल न सिर्फ बोनस मिला है। बल्कि पिछले साल का बोनस भी मिला है। कुल मिलाकर 64,480 रुपये सोनी के बैंक खाते में दो साल के बकाया बोनस के रूप में जमा किए गए हैं। इसी तरह चितलंका गांव निवासी राजेंद्र सेठिया ने बताया कि उन्हें भी 27 क्विंटल धान बेचने पर 2 साल के बोनस के रूप में 64,640, रुपये मिले। पैसे का इस्तेमाल बच्चे की अच्छी शिक्षा के लिए और उनकी स्कूल फीस का भुगतान करने के लिए किया जाएगा। गांव कवलनार की महिला किसान गीता ने बोनस की राशि मिलने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया है।

दो साल का बकाये का किया था ऐलान

गौरतलब है कि साई सरकार ने वर्ष 2014-15 और 2015-16 के दौरान किसानों को धान बोनस का 2 साल का बकाया देने की भी घोषणा की थी। इसे पूरा करते हुए सीएम साई द्वारा पिछले साल 25 दिसंबर को किसानों को उस अवधि का लंबित बोनस दिया गया है।

अब एमपी सरकार पर बढ़ा दबाव

छत्तीसगढ़ में किसानों को बकाया बोनस देने की प्रक्रिया के बाद अब पड़ोसी राज्य एमपी में नवगठित मोहन यादव सरकार ने भी किसानों को चुनावी वादे के मुताबिक बोनस देने का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश में भी चुनाव के दौरान भाजपा ने मोदी की गारंटी के तौर पर गेहूं 2700 रुपये प्रति क्विंटल और धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल खरीदने का वादा किया था।

गेहूं के लिए शुरू हुआ रजिस्ट्रेशन

प्रदेश में रबी सीजन में गेहूँ की शासकीय उपार्जन के लिये किसानों से पंजीयन कराया जा रहा है। पंजीकरण के लिए आवेदन में उल्लेख किया गया है कि किसानों से गेहूं एमएसपी पर खरीदा जाता है। सरकार की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि एमएसपी पर बोनस कब दिया जाएगा।

 

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