मात्र 115 दिन और खेतों में लहलहायेगी धान की फसल, दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा होगा उत्पादन

लखनऊ : जून का महीना है भीसड़ गर्मी पड़ रही है, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुँच चुका है, बढ़ता तापमान किसानो के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। जून का महीना धान की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है, किसान भाई इस महीने में धान की खेती करते हैं। इस खबर में हम  आपको बताएंगे कि धान कि फसल 115 दिनों में कैसे तैयार होगी और उत्पादन कैसे बढ़ेगा?

वैज्ञानिको ने हाल ही में “मालवीय मनीला सिंचित धान-1” नामक नई किस्म विकसित की है जो दूसरी किस्मो के मुकबले कम दिनों में तैयार होगी और पैदावार भी अच्छी होगी। इससे किसानो को एक और फायदा होगा फसल काटने के साथ दूसरी फसल की बुवाई भी जल्दी कर सकेंगे।

पिछले कई वर्षों से धान की खेती करने वाले किसानो को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था, कभी कभी बारिश के चलते फसल को काफी नुकसान होता था और रबी की फसलों की बुवाई करने में देरी होती थी। लेकिन अब किसानो की दुविधा कम होगी। वैज्ञानिको ने चावल की नई किस्म विकसित की है जिसमे की फसल 115 से 118 दिनों में तैयार हो जाएगी।

फिलीपीन्स स्थित अंतराष्ट्रीय चावल अनुसन्धान संस्थान और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अथक प्रयासों से मालवीय मनीला सिंचित धान-1  को विकसित किया है। बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम इस धान के शोध पर पिछले 15 वर्षो से कार्य कर रहे थे।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह ने कृषिभूमि से बात करते हुए बताया कि “बीएचयू और आईआरआरआई फिलीपीन्स के वैज्ञानिको के साथ मिलकर हमने नई किस्म को विकसित किया है। धान कि यह किस्म मात्र 115-118 दिनों में तैयार हो जाएगी, इसका उत्पादन 55 से 64 कुंतल  प्रति हेक्टेयर के बीच होगा।

अब तक जो कम दिनों की किस्में हुई हैं उनके दाने अधिक मोटे होते थे लेकिन इस खास चावल की लंबाई 7.0 मिलीमीटर है और मोटाई 2.1 मिमीमीटर है। यह लंबा और पतले  दाने वाला चावल है। यह किस्म बासमती किस्म की नहीं है हालांकि इसके चावल के दाने पूरी तरह से बासमती चावल जैसे लगते हैं।

वो आगे कहते हैं कि जब एक नई किस्म पहले से मौजूदा किस्मों के मुकाबले अधिक उत्पादन प्रदान करती है तभी उसका विकास किया जाता है और मालवीय मनीला सिंचित धान-1 ऐसी किस्म है।इस धान का उद्घाटन असम कृषि विश्वविद्यालय जोरहाट में किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की वैरायटी आईडेंटिफिकेशन कमेटी ने 5 मई को अपनी 98वीं वार्षिक पैडी ग्रुप मीटिंग में इस नई वैरायटी को प्रस्तुति किया था।

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