लखनऊ, 10 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): लखनऊ स्थित सीमैप (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स) के वैज्ञानिकों ने पिपरमिंट (जापानी पुदीना) की एक नई उन्नत किस्म ‘सिम-इंदुश्री’ विकसित की है, जो पारंपरिक किस्मों की तुलना में लगभग 20% अधिक तेल उत्पादन करने में सक्षम है। इस उपलब्धि को किसानों के लिए एक बड़ी सौगात माना जा रहा है, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि देश को पिपरमिंट तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मजबूती मिलेगी।
क्या है सिम-इंदुश्री किस्म की खासियत?
सिम-इंदुश्री किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सीधी बढ़ती है और इसके तनों के नीचे से सकर (नई शाखाएं) भी उत्पन्न होती हैं, जिससे पौधों की संख्या बढ़ती है और उत्पादन में सुधार होता है।
- तेल उत्पादन: प्रति हेक्टेयर तकरीबन 140 किलो तेल मिलने की संभावना
- तेल की गुणवत्ता:
- मेंथॉल की मात्रा: लगभग 50%
- मेंथोफ्यूरान: लगभग 2–3%
इस नई किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों में डॉ. बीरेन्द्र कुमार (मुख्य वैज्ञानिक) और संस्थान के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी प्रमुख रूप से शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पुरानी किस्मों से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था, जबकि पिपरमिंट का वैश्विक बाजार लगातार बढ़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए ‘सिम-इंदुश्री’ को तैयार किया गया है।
पिपरमिंट का उपयोग कहां होता है?
पिपरमिंट से निकाला गया तेल (Peppermint Oil) दवा उद्योग, कास्मेटिक, टूथपेस्ट, बाल्म, आयुर्वेदिक प्रोडक्ट और FMCG सेक्टर में बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। भारत में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, परंतु उच्च गुणवत्ता वाले तेल का उत्पादन सीमित है।
किसानों को क्या होगा फायदा?
- तेज विकास और बेहतर उपज
- तेल की मात्रा व गुणवत्ता में सुधार
- बाजार में बेहतर दाम मिलने की संभावना
- कम समय में अधिक रिटर्न
संस्थान का मानना है कि सिम-इंदुश्री किस्म को अपनाने से भारत का पिपरमिंट तेल आयात पर निर्भरता घटेगी और किसानों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ने में भी मदद मिलेगी।