नई दिल्ली, 26 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीस कुरियन की 103वीं जयंती पर बुधवार को पूरे देश में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जायेगा। इस अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम आयोजित होगा, जहां भारत की अर्थव्यवस्था, पोषण सुरक्षा और ग्रामीण विकास में डेयरी क्षेत्र के योगदान पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे।
पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह इस कार्यक्रम में देश के श्रेष्ठ पशुपालकों, डेयरी उद्यमियों और दुग्ध उत्पादकों को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान करेंगे। इसमें देशभर से किसान, दुग्ध संघ, डेयरी सहकारिताएं और डेयरी स्टार्टअप भाग लेंगे।
बता दें कि मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (MoFAHD) ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार (NGRA) 2025 की घोषणा कर दी है। यह पुरस्कार भारत के पशुधन और डेयरी क्षेत्र का एक सर्वोच्च नागरिक सम्मान माना जाता है। पुरस्कार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर 2025) के अवसर पर प्रदान किए जाएंगे, जो भारत के ‘मिल्कमैन’ डॉ. वर्गीज़ कुरियन की जयंती पर मनाया जाता है।
इस वर्ष प्राप्त 2,081 आवेदनों में से तीन श्रेणियों – सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान, सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी संघ/FPO/मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी, और सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (AIT)—में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों का चयन किया गया है।
भारत: विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक
आंकड़ों के अनुसार, भारत पिछले कई वर्षों से दुनिया में प्रथम स्थान पर है। वैश्विक दूध उत्पादन में भारत का योगदान लगभग 24% है। भारत का वार्षिक दूध उत्पादन 18.61 करोड़ टन (186.1 मिलियन टन) है। देश का 80% से अधिक दूध छोटे और सीमांत किसानों द्वारा उत्पादित होता है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पोषण सुरक्षा दोनों पर डेयरी उद्योग का प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण है।
क्यों मनाया जाता है 26 नवंबर?
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस हर वर्ष 26 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि यह डॉ. वर्गीस कुरियन की जन्मतिथि है। उनके नेतृत्व ने भारत को दूध की कमी झेलने वाले देश से दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाया। यह दिवस दूध के पोषण महत्व, डेयरी किसानों के योगदान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डेयरी क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करता है।
डॉ. कुरियन: ऑपरेशन फ्लड के वास्तुकार
डॉ. कुरियन को “फादर ऑफ द व्हाइट रिवोल्यूशन” इसीलिए कहा जाता है क्योंकि—
उन्होंने अमूल मॉडल को देशव्यापी रूप दिया
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की अगुआई की
1970 में शुरू ऑपरेशन फ्लड—दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध विकास कार्यक्रम—का नेतृत्व किया
ऑपरेशन फ्लड ने भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश में बदल दिया।
यह आंदोलन करोड़ों ग्रामीण किसानों, विशेषकर महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की रीढ़ बना और उन्हें स्थिर आय का स्रोत उपलब्ध कराया।
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का महत्व
यह दिवस केवल दूध के पोषण लाभों का संदेश देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन लाखों किसानों के योगदान का सम्मान है जो प्रतिदिन लाखों लीटर दूध का उत्पादन करके देश की अर्थव्यवस्था में बल जोड़ते हैं।
इसके महत्व के मुख्य आयाम—
पोषण सुरक्षा: दूध कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन B12 और पोटैशियम से भरपूर
ग्रामीण आजीविका: लगभग 8 करोड़ ग्रामीण परिवार डेयरी पर निर्भर
उद्योग का आकार: भारतीय डेयरी बाजार का आकार ₹15 लाख करोड़ से अधिक
महिला सशक्तिकरण: दुग्ध सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी 35% से ज्यादा
कब हुई शुरुआत?
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस की शुरुआत 2014 में हुई। भारतीय डेयरी एसोसिएशन (IDA) ने यह निर्णय लिया कि पूरे देश में डॉ. कुरियन की जयंती को एक राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाएगा। तब से आज तक यह दिन डेयरी क्षेत्र की उपलब्धियों, किसानों की भूमिका और भारत की आत्मनिर्भर डेयरी व्यवस्था का प्रतीक बना हुआ है।
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