मुंबई, 13 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी (Rating Agency) मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody’s Investors Service) ने एक उत्साहजनक खबर दी है। अपने नवीनतम पूर्वानुमान (Latest Forecast) में, मूडीज़ ने भारत की विकास दर (India’s growth rate) के अनुमान को बढ़ाते हुए, यह संकेत दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मजबूत गति से आगे बढ़ रही है। यह सकारात्मक बदलाव न केवल निवेशकों के भरोसे (Investers Faith) को मजबूत करता है, बल्कि भारत के जीडीपी अनुमान (India GDP Estimates) को भी नई ऊंचाई देता है।
मूडीज़ का संशोधित जीडीपी अनुमान:
मूडीज़ ने वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP – Gross Domestic Product) की वृद्धि दर का अनुमान संशोधित किया है। पुराने अनुमानों की तुलना में यह वृद्धि, मुख्य रूप से घरेलू मांग (Domestic Demand) में मजबूती और पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में सरकारी निरंतरता को दर्शाती है।
विकास दर में वृद्धि के मुख्य कारण:
- मजबूत घरेलू मांग (Strong Domestic Demand): भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत उसकी घरेलू खपत (Domestic Consumption) है। मूडीज़ का मानना है कि उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास (Consumer Confidence) बढ़ रहा है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग में वृद्धि हुई है।
- सरकारी पूंजीगत व्यय (Government Capital Expenditure): केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों से बुनियादी ढांचे (Infrastructure) पर खर्च को प्राथमिकता दी है। सड़कों, रेलवे और अन्य पूंजीगत परियोजनाओं पर भारी खर्च से न केवल रोजगार सृजन (Rozgar Srijan) हो रहा है, बल्कि उत्पादन क्षमता (Production Capacity) में भी सुधार हो रहा है, जो लंबी अवधि के आर्थिक विकास (Financial Growth) के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में सुधार: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (Manufacturing Sector) में सुधार और सेवा क्षेत्र (Service Sector) का मजबूत प्रदर्शन भी जीडीपी अनुमान को ऊपर ले जा रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिला है।
- लचीली बैंकिंग प्रणाली (Resilient Banking System): भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों की स्थिति में सुधार हुआ है। कम एनपीए (NPA) और बेहतर क्रेडिट ग्रोथ (Credit Growth) अर्थव्यवस्था को मजबूत समर्थन दे रहे हैं।
यह संशोधित जीडीपी अनुमान इस बात की पुष्टि करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनी रहेगी।
वैश्विक चुनौतियाँ और भारत की लचीली अर्थव्यवस्था
यह अनुमान ऐसे समय में आया है जब विश्व अर्थव्यवस्था (Global Economy) कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें उच्च मुद्रास्फीति (High Inflation), भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions), और विकसित देशों में ब्याज दर (Interest Rate) में सख्ती शामिल है।
इन विपरीत परिस्थितियों में भी भारत की अर्थव्यवस्था का मजबूत बने रहना इसकी लचीली प्रकृति (Resilience) को दर्शाता है। मूडीज़ ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि भारत की वृद्धि मुख्य रूप से आंतरिक कारकों (Internal Factors) से प्रेरित है, जिससे वह वैश्विक मंदी (Global Slowdown) के प्रभावों से काफी हद तक सुरक्षित है। हालाँकि, एजेंसी ने यह भी चेतावनी दी है कि कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Prices) और अनियमित मानसून अभी भी महंगाई के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं, जो आरबीआई (RBI) की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को प्रभावित करेगा।
मूडीज़ जैसी प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी से विकास दर में वृद्धि का अनुमान आना अंतरराष्ट्रीय निवेशकों (International Investors) के लिए एक मजबूत सकारात्मक संकेत (Positive Signal) है। यह विदेशी निवेश (Foreign Investment) को आकर्षित करने में मदद करेगा, जो आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
नीति-निर्माताओं (Policy-Makers) के लिए यह एक प्रोत्साहन है कि उनकी नीतियां सही दिशा में काम कर रही हैं, विशेष रूप से पूंजीगत व्यय और संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms) के मोर्चे पर। भविष्य में, सरकार को निजी निवेश (Private Investment) को और बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने और महंगाई को नियंत्रित रखने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि विकास की गति (Pace of Growth) बरकरार रह सके।
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