मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने राज्य के कृषि क्षेत्र को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘कृषि समृद्धि योजना’ (Krishi Samruddhi Yojana) की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत सरकार वर्ष 2025–26 से अगले पांच वर्षों तक प्रति वर्ष ₹5,000 करोड़ का निवेश करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के किसानों को आधुनिक कृषि अवसंरचना, टिकाऊ खेती, जल संरक्षण और बाजार मूल्य श्रृंखला से जोड़ना है।
राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के अनुसार, यह योजना किसानों को सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि उन्हें प्रसंस्करण, भंडारण, ब्रांडिंग और बाजार तक पहुँचाने में भी सक्षम बनाएगी। इससे न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास को भी नई दिशा मिलेगी।
इस योजना के प्रमुख लक्ष्य:
– फसल-आधारित क्लस्टर डेवलपमेंट
– जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
– जल-प्रबंधन परियोजनाएं, जैसे माइक्रो इरिगेशन व जल-संग्रहण
– कृषि मूल्य श्रृंखला का सशक्तीकरण – कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग यूनिट्स
– FPOs (कृषक उत्पादक संगठन) को वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग
– महिला, SC/ST, छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता
विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से महाराष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के असर से जूझ रहे क्षेत्रों में टिकाऊ खेती को बल मिलेगा। साथ ही, बाजार तक सीधी पहुंच बनने से किसान बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहेंगे। योजना में GIS आधारित कृषि मैपिंग, AI-सहायित निर्णय प्रणाली, और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से किसान तक समयबद्ध जानकारी व सहायता पहुँचाने की व्यवस्था भी प्रस्तावित है।
‘कृषि समृद्धि योजना’ न केवल एक वित्तीय योजना है, बल्कि यह महाराष्ट्र के कृषि परिदृश्य को समावेशी, स्मार्ट और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया, तो यह योजना राज्य को कृषि नवाचार और समृद्धि का मॉडल बना सकती है।
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