नई दिल्ली, 22 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): जापान की आर्थिक नीति में एक ऐतिहासिक बदलाव दर्ज किया गया है। बैंक ऑफ जापान (BoJ) ने दशकों से चली आ रही अल्ट्रा-लूज़ मौद्रिक नीति से बाहर निकलते हुए ब्याज दरों को करीब 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब देश में महंगाई दबाव लगातार बना हुआ है और वेतन वृद्धि अब नीति निर्माताओं को ठोस संकेत देने लगी है।
खत्म हो रहा है सस्ती पूंजी का दौर
जापान लंबे समय तक बेहद कम और नकारात्मक ब्याज दरों की नीति के लिए जाना जाता रहा है। डिफ्लेशन और कमजोर मांग से निपटने के लिए केंद्रीय बैंक ने वर्षों तक बड़े पैमाने पर बॉन्ड खरीद और सस्ती नकदी की नीति अपनाई। लेकिन हाल के महीनों में उपभोक्ता कीमतों में स्थायित्व और श्रम बाजार में मजबूती ने बैंक ऑफ जापान को नीति सामान्यीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए मजबूर कर दिया।
महंगाई और वेतन वृद्धि ने बदली तस्वीर
नीति निर्धारकों का मानना है कि महंगाई अब केवल आयातित या अस्थायी कारणों तक सीमित नहीं रही। ऊर्जा और खाद्य कीमतों के साथ-साथ वेतन समझौतों में बढ़ोतरी ने घरेलू मांग को मजबूती दी है। बैंक ऑफ जापान के अनुसार, यदि इस ट्रेंड को नजरअंदाज किया गया तो अर्थव्यवस्था में असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है।
येन मजबूत, बाजार सतर्क
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद जापानी येन में मजबूती देखने को मिली है। निवेशकों को उम्मीद है कि नीति बदलाव से जापान की परिसंपत्तियां एक बार फिर वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षक बन सकती हैं। हालांकि, शेयर बाजारों में शुरुआती उतार-चढ़ाव देखा गया, क्योंकि लंबे समय से चली आ रही सस्ती पूंजी की आदत अब बदल रही है।
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
जापान की इस सख्ती का असर भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि जापानी निवेशक घरेलू बाजार में अधिक रिटर्न देखने लगते हैं, तो भारत जैसे बाजारों में आने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) पर अल्पकालिक दबाव बन सकता है, खासकर बॉन्ड सेगमेंट में।
इसके साथ ही, येन में मजबूती और वैश्विक करेंसी मूवमेंट का असर रुपये की चाल पर भी पड़ सकता है। हालांकि, भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि, स्थिर महंगाई और रिजर्व बैंक की संतुलित मौद्रिक नीति के चलते किसी बड़े नकारात्मक झटके की आशंका फिलहाल कम मानी जा रही है। उलटे, लंबी अवधि में भारत वैश्विक पूंजी के लिए एक स्थिर और आकर्षक गंतव्य बना रह सकता है।
बैंक ऑफ जापान ने साफ किया है कि आगे के फैसले पूरी तरह डेटा-आधारित होंगे। यदि महंगाई और वेतन वृद्धि का रुझान बना रहता है, तो नीति में और सख्ती से इनकार नहीं किया जा सकता।
कुल मिलाकर, जापान की मौद्रिक नीति में यह बदलाव न सिर्फ घरेलू अर्थव्यवस्था बल्कि वैश्विक वित्तीय संतुलन के लिए भी एक अहम संकेत माना जा रहा है।
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