नई दिल्ली, 22 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने देश में जीनोम एडिटिंग तकनीक पर शोध कार्य को रफ्तार दे दी है। केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी कि फिलहाल 24 खेती की फसलों और 17 बागवानी फसलों में जीनोम एडिटिंग पर वैज्ञानिक अनुसंधान शुरू हो चुका है। सरकार का कहना है कि इस तकनीक के जरिए अधिक उत्पादक, पोषक और जलवायु-सहिष्णु किस्में विकसित की जा सकती हैं, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में मददगार होंगी।
हालांकि, जीनोम एडिटिंग तकनीक और इससे जुड़े सरकारी दावों को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं, जिन पर नीति और वैज्ञानिक स्तर पर बहस जारी है।
संसद में सरकार का जवाब
लोकसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने बताया कि आईसीएआर इस समय 41 फसलों पर जीनोम एडिटिंग का काम कर रहा है। इसके अलावा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) भी 10 फसलों में इस तकनीक पर शोध में जुटे हुए हैं।
मंत्री के मुताबिक, जीनोम एडिटिंग तकनीक से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने और बेहतर गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने में अहम भूमिका निभाई जा सकती है।
धान और सरसों में ठोस प्रगति
सरकार ने बताया कि आईसीएआर ने धान की दो जीनोम-एडिटेड किस्में विकसित कर ली हैं। वहीं, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान ने कम ग्लूकोसिनोलेट वाली सरसों की जीनोम-एडिटेड लाइन तैयार की है। यह किस्म फिलहाल आईसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) के तहत परीक्षण चरण में है।
खेत तक तकनीक पहुंचाने की योजना
मंत्री ने कहा कि जीनोम-एडिटेड किस्मों के व्यावसायीकरण के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया तय की गई है। किसी भी किस्म की रिलीज के बाद उसे पौध किस्म एवं किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) में पंजीकृत किया जाएगा। इसके बाद निजी कंपनियों, स्टार्टअप्स और नवोन्मेषकों के जरिए इन किस्मों को किसानों तक पहुंचाया जाएगा।
रेडिएशन तकनीक से भी बढ़ा विकल्प
सरकार ने यह भी बताया कि पिछले पांच वर्षों में रेडिएशन तकनीक से विकसित 23 उन्नत फसल किस्में किसानों को उपलब्ध कराई गई हैं। इनमें धान, सरसों, उड़द, ज्वार, मूंगफली, मूंग, तिल और केले जैसी फसलें शामिल हैं। अब तक कुल 72 किस्में रेडिएशन आधारित म्यूटेशन तकनीक से विकसित की जा चुकी हैं, जिनका उपयोग विभिन्न फसलों में किया जा रहा है।
भविष्य की खेती पर सरकार का भरोसा
सरकार का मानना है कि जीनोम एडिटिंग, रेडिएशन म्यूटेशन और जलवायु-सहिष्णु तकनीकों का संयुक्त प्रभाव भारतीय कृषि को अधिक टिकाऊ, उत्पादक और भविष्य-उन्मुख बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
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