चंडीगढ़, 7 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): हरियाणा के पलवल जिले की होडल अनाज मंडी में सरकारी धान खरीद प्रक्रिया शुरू होते ही बड़ा विवाद सामने आया है। किसान संगठनों ने मंडी के अधिकारियों और आढ़तियों पर मिलीभगत कर सस्ते दामों में किसानों से धान खरीदने और उसे दूसरी मंडियों में ऊंचे दामों पर बेचने का गंभीर आरोप लगाया है।
किसानों का कहना है कि आढ़ती, सरकारी खरीद का फायदा उठाने के बजाय, जानबूझकर कम दामों पर धान उठाते हैं। बाद में वही धान बाजार भाव पर अन्य मंडियों या मिलों में भेज दिया जाता है, जिससे असली नुकसान सीधे किसान को होता है।
किसान नेताओं ने सरकार से घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। उन्होंने 2022 में हुए 20 हजार क्विंटल धान घोटाले का भी ज़िक्र करते हुए दोषियों की गिरफ्तारी की मांग दोहराई। उस घोटाले में बिना किसी असली फसल के ही हजारों क्विंटल धान के फर्जी गेट पास बना दिए गए थे। मुख्यमंत्री उड़नदस्ता के तत्कालीन डीएसपी राजेश चेची द्वारा की गई जांच में स्पष्ट हुआ था कि मंडी में न तो किसान मौजूद थे और न ही धान — सब कुछ कागज़ों पर चल रहा था।
किसान संगठनों का आरोप है कि 2022 के उसी “मॉडल” को अब दोबारा अपनाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश से सस्ते में खरीदा गया धान हरियाणा की मंडियों में दिखाया जा रहा है और सीधे मिलों में भेजा जा रहा है।
एक स्थानीय किसान ने बताया, “हमारा धान मंडी में बेचने लायक नहीं माना जाता, लेकिन वही धान बाहर से लाकर यहां दिखाया जाता है। ये सरासर धोखा है।”
किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे आंदोलन छेड़ सकते हैं। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कृषि व्यवस्था पारदर्शी और किसानों के हित में चले, न कि घोटालेबाजों के इशारे पर।
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