नई दिल्ली, 16 सितम्बर (कृषि भूमि ब्यूरो):

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार ने किसानों के लिए गेहूँ की एक नई और उन्नत किस्म WH 1309 विकसित की है। यह किस्म विशेष रूप से देर से बुआई (Late-sown) के लिए उपयुक्त है और इसे गर्म परिस्थितियों में भी बेहतर पैदावार देने के लिए तैयार किया गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, WH 1309 किस्म में बीमारियों के प्रति बेहतर प्रतिरोधक क्षमता है, खासकर पीली रतुआ (Yellow Rust) जैसी आम समस्या से लड़ने में यह किस्म प्रभावी साबित होगी। इसके साथ ही यह किस्म पुराने वैरायटी WH 1124 की तुलना में लगभग 12–13% अधिक उत्पादन देने में सक्षम है।

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस किस्म के आने से न केवल किसानों को बेहतर उत्पादन मिलेगा बल्कि बदलते मौसम और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। देर से बोई जाने वाली खेती के लिए किसान अक्सर कम पैदावार और रोग-प्रभावित फसल की समस्या झेलते हैं, लेकिन WH 1309 इस कमी को काफी हद तक पूरा कर सकती है।

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह किस्म अनाज की गुणवत्ता और दाने के आकार के लिहाज से भी बेहतर है। इससे किसानों को न केवल घरेलू बाजार बल्कि निर्यात स्तर पर भी फायदा हो सकता है।

कुल मिलाकर, WH 1309 हरियाणा सहित पूरे उत्तर भारत के गेहूँ उत्पादक किसानों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है। यह किस्म भविष्य में बढ़ती खाद्यान्न मांग को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी। देखना है किसान इस किस्म को कितना पसंद करते हैं।

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