मुंबई, 11 दिसंबर (कृषि भूमि डेस्क): Gold Jewellery Investment – भारतीय परिवारों में सोने की ज्वैलरी को आज भी सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की नई रिपोर्ट इस धारणा पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। रिपोर्ट के मुताबिक सोने के गहनों को निवेश के तौर पर खरीदना कई बार नुकसानदेह साबित हो सकता है।
गहनों पर मेकिंग चार्ज से बढ़ जाती है वास्तविक लागत
रिपोर्ट के अनुसार सोने की ज्वैलरी में मेकिंग चार्ज, डिजाइन चार्ज और स्टोन वैल्यू मिलाकर कीमत सोने की वास्तविक कीमत से काफी अधिक हो जाती है। यही कारण है कि ज्वैलरी को बेचते समय असली लागत निकलने में भी मुश्किल होती है।
एक्सपर्ट का कहना है, “ज्वैलरी तभी फायदेमंद होती है जब सोने का रेट कम से कम 25–30% तक बढ़ जाए।” यानी अगर आज आपने ₹1 लाख का गहना खरीदा है, तो लाभ तभी मिलेगा जब सोने का भाव ₹1.25 लाख से ऊपर पहुंच जाए।
सोना बढ़ा, लेकिन ज्वैलरी से रिटर्न कम मिला
बीते वर्षों में सोने के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे हैं, लेकिन ज्वैलरी का रिटर्न तुलनात्मक रूप से कम रहा।
- 15 साल में सोने की वार्षिक बढ़त: 12.5%
- ज्वैलरी पर औसत वार्षिक रिटर्न: 10.3%
यानी ज्वैलरी में निवेश शुद्ध सोने की कीमतों की तुलना में कम लाभ देता है।
किनके पास है भारत का सबसे ज्यादा सोना?
रिपोर्ट कहती है कि भारत में अधिकतर सोना निम्न और मध्यम आय वर्ग के परिवारों के पास है। यह सोना अक्सर मुश्किल समय के लिए, बच्चों की पढ़ाई, या शादी-ब्याह के खर्चों के लिए रखा जाता है। लेकिन गहनों के रूप में निवेश का रिटर्न उनकी उम्मीदों जितना नहीं होता।
निवेश के लिए बेहतर विकल्प क्या हैं?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यदि उद्देश्य सिर्फ निवेश है, तो ज्वैलरी की जगह ये विकल्प बेहतर हैं:
- Gold ETFs
- Gold Coins
- Gold Bars
इनमें मेकिंग चार्ज नहीं लगता और कीमत ज्यादा पारदर्शी रहती है।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए चेतावनी
रिपोर्ट के अनुसार यदि लोग बड़े पैमाने पर सोने को निवेश के रूप में खरीदते रहेंगे, तो इससे करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) बढ़ सकता है, ट्रेड डेफिसिट पर असर पड़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव आ सकता है
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