Crude Oil Prices: अमेरिकी इन्वेंट्री बढ़ने से कच्चे तेल में दबाव, सप्लाई बढ़ी तो कीमतों में और गिरावट के संकेत

नई दिल्ली, 19 नवंबर कृषि भूमि ब्यूरो): कच्चे तेल की कीमतों में बुधवार को गिरावट दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण अमेरिका में क्रूड और फ्यूल इन्वेंट्री में तेज़ बढ़ोतरी है। इससे यह संकेत मिला कि बाजार में सप्लाई मांग से ज्यादा हो रही है। इसी अतिरिक्त आपूर्ति के दबाव से ब्रेंट और WTI क्रूड दोनों में कमजोरी देखी गई।

ब्रेंट क्रूड वायदा 28 सेंट यानी 0.43% गिरकर 64.61 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि पिछले सत्र में इसमें 1.1% की बढ़त दर्ज हुई थी। अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड 24 सेंट या 0.4% फिसलकर 60.5 डॉलर प्रति बैरल तक आ गया।

अमेरिका में इन्वेंट्री बढ़ी, सप्लाई का दबाव बढ़ा
अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट (API) के आंकड़ों के अनुसार 14 नवंबर को समाप्त सप्ताह में क्रूड इन्वेंट्री 4.45 मिलियन बैरल बढ़ी, गैसोलीन इन्वेंट्री में 1.55 मिलियन बैरल की बढ़ोतरी और डिस्टिलेट स्टॉक में 577,000 बैरल की वृद्धि हुई।

इन आंकड़ों ने संकेत दिया कि उत्पादन और सप्लाई दोनों ही स्तरों पर बाजार में अधिशेष बढ़ रहा है, जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा।

ग्लोबल मार्केट में ओवर–सप्लाई की चिंता
इस वर्ष वैश्विक बेंचमार्क कीमतों पर दबाव इसलिए बढ़ा है क्योंकि अतिउत्पादन की आशंका लगातार गहरा रही है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने 2026 में रिकॉर्ड अधिशेष की भविष्यवाणी की है। इसका बड़ा कारण ओपेक और उसके सहयोगियों द्वारा निष्क्रिय उत्पादन की वापसी और ओपेक के बाहर से भी बढ़ती सप्लाई है।

एनर्जी एनालिस्ट्स का नजरिया
एमएसटी मार्की के वरिष्ठ ऊर्जा विश्लेषक सॉल कावोनिक का कहना है कि बाजार अभी भू-राजनीति और सप्लाई दोनों तरह के जोखिमों का संतुलन कर रहा है। उनके अनुसार यदि रूस और अन्य देशों से आपूर्ति बाधाओं का जोखिम कम रहा, प्रतिबंधों का असर सीमित रहा और ओपेक अपने मौजूदा फैसलों पर कायम रहा, तो बाजार में आगे और नरमी दिख सकती है।

कनाडा में तेल रेत उत्पादन बढ़ रहा है। नई विस्तारित ट्रांस माउंटेन पाइपलाइन के कारण एशिया में ज्यादा क्रूड पहुंच रहा है। बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल के अनुसार जून में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर गया और 2030 तक 60 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंचने का अनुमान है।

भू-राजनीतिक जोखिम अब भी मौजूद
तेल बाजार पर असर डालने वाले कई भू-राजनीतिक जोखिम भी सामने आ रहे हैं। सूडान में हमलों के चलते तेल निर्यात प्रभावित हुआ है। इसी सप्ताह ईरान ने होर्मुज़ जलडमरूमध्य के पास एक तेल टैंकर जब्त किया, जिससे तनाव बढ़ा। बाजार वेनेज़ुएला पर अमेरिकी दबाव के असर को लेकर भी चिंतित है। अमेरिका वेनेज़ुएला के एक ड्रग कार्टेल को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने की योजना बना रहा है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अमेरिकी सैनिक भेजने की संभावना से इनकार नहीं किया है।

इस बीच, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और ट्रंप की वाशिंगटन में मुलाकात भी बाजार की नजर में है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका सऊदी अरब को F-35 लड़ाकू विमान बेचेगा, जो तेल-राजनीति को और प्रभावित कर सकता है।

अमेरिकन इन्वेंट्री, ओपेक की रणनीति, कनाडा की बढ़ती सप्लाई और कई भू-राजनीतिक घटनाओं के बीच कच्चे तेल का बाजार अस्थिर बना हुआ है। विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि सप्लाई की स्थिति यूं ही मजबूत रही, तो क्रूड कीमतों में और नरमी देखने को मिल सकती है।

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