मुंबई, 2 दिसंबर, 2025 ( कृषि भूमि डेस्क): देश के चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने एक बार फिर केंद्र सरकार से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (Minimum Selling Price – MSP) को बढ़ाने की जोरदार मांग की है। संगठन का कहना है कि गन्ने के ऊंचे FRP (Fair and Remunerative Price) और उत्पादन लागत (Cost of Production) में लगातार वृद्धि के कारण चीनी मिलों की वित्तीय सेहत (Financial Health) बिगड़ रही है, जिसका सीधा असर किसानों के गन्ने के बकाया भुगतान पर पड़ रहा है।
उत्पादन लागत ₹41.72/किलो, MSP ₹31/किलो पर स्थिर
ISMA ने अपने हालिया बयान में बताया कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में गन्ने की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण, पूरे भारत में चीनी उत्पादन की औसत लागत बढ़कर ₹41.72 प्रति किलोग्राम हो गई है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि चीनी का MSP फरवरी 2019 से ₹31 प्रति किलोग्राम पर स्थिर है। जबकि, इसी अवधि में गन्ने का FRP लगभग 29% तक बढ़ चुका है। इस विसंगति के कारण मिलों को अपनी उत्पादन लागत से काफी कम कीमत पर बाजार में चीनी बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें नुकसान हो रहा है और उनकी नकदी (Liquidity) की स्थिति प्रभावित हो रही है।
ISMA ने मांग की है कि चीनी का MSP बढ़ाकर कम से कम ₹40.24 प्रति किलोग्राम या इससे अधिक किया जाए, ताकि मिलों को सही रिटर्न मिल सके और वे गन्ना किसानों का भुगतान समय पर कर सकें।
चीनी उत्पादन में तेज़ी: 41 लाख टन का आंकड़ा पार
लागत की चिंता के बावजूद, चालू 2025-26 चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती आंकड़े सकारात्मक हैं, जो बम्पर फसल का संकेत दे रहे हैं।
उत्पादन में उछाल: 30 नवंबर 2025 तक देश का चीनी उत्पादन 41.08 लाख टन तक पहुँच गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि के 28.76 लाख टन की तुलना में लगभग 43% अधिक है।
चालू मिलों की संख्या: इस साल चालू चीनी मिलों की संख्या भी पिछले साल के 376 के मुकाबले बढ़कर 428 हो गई है।
राज्यवार प्रदर्शन: उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 13.97 लाख टन तक पहुंचा है, जबकि महाराष्ट्र में 16.95 लाख टन का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया गया है। बेहतर गन्ना पैदावार और चीनी रिकवरी दर के कारण यह वृद्धि हुई है।
Ethanol के आवंटन पर भी चिंता
ISMA ने चीनी की कीमतों के साथ-साथ इथेनॉल खरीद मूल्य को भी बढ़ाने की अपील की है।
संगठन के अनुसार, ESY (इथेनॉल सप्लाई ईयर) 2025-26 के लिए चीनी क्षेत्र को इथेनॉल का आवंटन (Allocation) केवल 289 करोड़ लीटर (जो कुल आवंटन का 27.5% है) किया गया है। इथेनॉल के कम आवंटन से डिस्टिलरी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है, जिससे मिलों पर अधिशेष चीनी (Surplus Sugar) स्टॉक का दबाव भी बढ़ रहा है।
चीनी उद्योग एक दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है: एक तरफ, किसानों को गन्ना मूल्य (FRP) का भुगतान करने के लिए बढ़ती लागत का दबाव है; दूसरी तरफ, स्थिर MSP के कारण बाजार में अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल रहा है। ISMA का मानना है कि सरकार को इस वित्तीय असंतुलन को दूर करने के लिए तत्काल चीनी का MSP संशोधित करना चाहिए और इथेनॉल नीति को राष्ट्रीय लक्ष्यों (NITI आयोग के EBP रोडमैप के अनुरूप) के अनुसार स्थिर करना चाहिए, ताकि उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
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