मुंबई, 24 नवंबर 2025 (कृषि भूमि ब्यूरो): न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार बॉलीवुड के इकलौते ‘हीमैन’ और मशहूर एक्टर धर्मेंद्र ने सोमवार को आखिर सांस ली. 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है. पिछले कुछ समय से उनकी तबियत खराब चल रही थी. कुछ ही समय पहले परिवार वाले उन्हें अस्पताल से घर लेकर आए थे. हालांकि अभी तक परिवार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.
कैमरे से दूर, मिट्टी से जुड़ाव
पिछले कई दशकों से, जहाँ एक ओर उनके बच्चे और नाती-पोते बॉलीवुड की चमक-दमक में अपना नाम बना रहे थे, वहीं धर्मेंद्र जी ने खुद को मुंबई की भाग-दौड़ से दूर, महाराष्ट्र के लोनावला में स्थित अपने शांत फार्महाउस तक सीमित कर लिया था।
उनकी मृत्यु की खबर ने इंडस्ट्री को स्तब्ध कर दिया है, लेकिन उनके अंतिम दिनों की तस्वीरें और वीडियो हमेशा उनकी सादगी की कहानी कहते रहेंगे। जहाँ अन्य सुपरस्टार्स ग्लैमर और पार्टियों में व्यस्त रहते थे, वहीं धर्मेंद्र जी रोज़ सुबह अपने हाथों से खेती करते थे। वह खुद ही पौधों की देखरेख करते, सब्ज़ियाँ उगाते और अपनी गायों से बातें करते थे।
उन्होंने अक्सर सोशल मीडिया पर अपने फ़ार्म से वीडियो साझा किए, जहाँ वह धूल-मिट्टी में सने, सिर पर टोपी लगाए, अपनी उगाई हुई फसल दिखाते थे। उनका जीवन संदेश स्पष्ट था: “असली सुकून और शांति मिट्टी में है, न कि स्टूडियो की चमक में।”
एक असाधारण करियर का अंत
धर्मेंद्र जी ने अपने छह दशक के करियर में लगभग 300 से अधिक फिल्मों में काम किया। उन्हें ‘शोले’ में उनकी निडर भूमिका ‘वीरू‘ के लिए, ‘चुपके चुपके’ में उनकी हास्य टाइमिंग के लिए, और ‘सत्यकाम’ जैसी फिल्मों में उनकी गहन अभिनय कला के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
उनकी जोड़ी हेमा मालिनी के साथ पर्दे पर सबसे ज़्यादा पसंद की गई। उनका मासूम चेहरा और दमदार फिजिक उन्हें अद्वितीय बनाती थी। 2012 में, भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
लेकिन उनकी सबसे बड़ी विरासत उनकी सादगी थी। वह एकमात्र सुपरस्टार थे जो सफलता के शिखर पर पहुंचने के बावजूद, पंजाब के साहनेवाल गाँव की मिट्टी और अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले।
अंतिम समय में भी खेतों के करीब
उनके पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, धर्मेंद्र जी ने अपना अंतिम दिन भी अपनी पसंदीदा जगह पर बिताया। उन्होंने सुबह उठकर अपनी रोज़ की तरह खेतों का एक छोटा चक्कर लगाया, अपने पोते-पोतियों से वीडियो कॉल पर बात की, और दोपहर में उन्होंने अचानक बेचैनी महसूस की।
उनकी मौत एक ऐसे युग का अंत है, जब एक छोटे से गाँव का लड़का बिना किसी गॉडफादर के केवल अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा ‘ही-मैन’ बन गया।
धर्मेंद्र जी ने फिल्मी दुनिया छोड़ी नहीं थी, उन्होंने केवल एक नया मंच चुन लिया था—प्रकृति का मंच, जहाँ उन्होंने शुद्ध हवा, ताज़ा सब्ज़ियाँ और सादगी भरी ज़िंदगी को अपनाया।
आज पूरा देश इस महान कलाकार को अश्रुपूर्ण विदाई दे रहा है। लेकिन शायद उनके करोड़ों फैंस यह सोचकर सांत्वना महसूस कर सकते हैं कि जिस मिट्टी से उन्हें सबसे ज़्यादा प्यार था, उन्होंने उसी की गोद में अंतिम साँस ली।
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