कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बोले – बाजरा को लाभदायक फसल बनाना सरकार की प्राथमिकता, वैज्ञानिक विकसित करें उच्च गुणवत्ता वाले बीज

नई दिल्ली, 12 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत सरकार ने देशभर में बाजरा (Millets) की खेती और बीज गुणवत्ता सुधार को लेकर बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बाजरा को लाभदायक फसल बनाना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों को उच्च उत्पादकता वाले नए बीज विकसित करने होंगे। वे ‘माड़िया दिवस’ और ‘श्री अन्न एवं महिला किसान’ विषय पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

कृषि मंत्री ने कहा: बाजरा में है किसानों की आर्थिक ताकत
शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि आज किसान ऐसी फसलों की तलाश में हैं जो उन्हें बेहतर वित्तीय लाभ दे सकें। उन्होंने कहा, बाजरा को फायदेमंद फसल बनाना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि किसान इसकी खेती की ओर रुख करें। इसे वैज्ञानिक नवाचार और सरकारी सहयोग से आगे बढ़ाया जा सकता है।”

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार ‘श्री अन्न मिशन’ (Millets Mission) के तहत न केवल बाजरा उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रही है बल्कि बीज गुणवत्ता, प्रसंस्करण और बाजार उपलब्धता में भी सुधार लाना चाहती है।

बीज गुणवत्ता और नवाचार पर सरकार का फोकस
भारत में वर्तमान में बाजरा की औसत उत्पादकता लगभग 1,250–1,300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि कई राज्यों में यह क्षमता इससे अधिक हो सकती है। कृषि मंत्रालय ने ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को “उच्च आनुवंशिक क्षमता वाले हाइब्रिड बीज” विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इससे किसानों को अधिक उत्पादन और स्थायी आय सुनिश्चित हो सकेगी।

ओडिशा की पहल को सराहा
केंद्रीय मंत्री ने ओडिशा सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि राज्य ने बाजरा उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार किया है। ओडिशा ने बाजरे की उत्पादकता 6 क्विंटल से बढ़ाकर 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंचा दी है। यह भारत का एकमात्र राज्य है जो किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बाजरा की खरीद कर रहा है। राज्य ने मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) में बाजरा आधारित खाद्य पदार्थ शामिल कर एक सफल पोषण मॉडल प्रस्तुत किया है।

श्री अन्न मिशन के तहत आगे की दिशा
भारत ने वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित “अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष (International Year of Millets)” के अवसर पर वैश्विक स्तर पर श्री अन्न को बढ़ावा दिया था। कृषि मंत्रालय के अनुसार, देश के 14 राज्यों में बाजरा क्लस्टर विकास कार्यक्रम चल रहा है। बाजरा आधारित मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग और एक्सपोर्ट को प्रोत्साहन देने के लिए APEDA और FPOs को भी जोड़ा गया है। केंद्र ने ‘मिलेट प्रोसेसिंग यूनिट्स’ के लिए विशेष सहायता योजना शुरू की है।

महिला किसानों की भूमिका पर बल
इस अवसर पर चौहान ने कहा कि महिला किसान प्राकृतिक और पोषण युक्त खेती को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। बाजरा जैसी फसलों में उनका योगदान बढ़ाना “महिला सशक्तिकरण और पोषण सुरक्षा” दोनों दृष्टियों से आवश्यक है।

विशेषज्ञों का मत
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बाजरा के बीज सुधार और बाजरा-आधारित फूड प्रोसेसिंग उद्योग पर ध्यान केंद्रित करने से भारत वैश्विक मिलेट निर्यात बाजार में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। डॉ. टी. मोहन सिंह (ICAR–IIMR, हैदराबाद) ने कहा, “हाइब्रिड बाजरा बीज विकसित करने से प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25–30% तक बढ़ाया जा सकता है और किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य में यह बड़ा कदम होगा।”

केंद्रीय कृषि मंत्री का यह आह्वान भारत की मिलेट क्रांति को नई दिशा देता है। उच्च गुणवत्ता वाले बीज, बेहतर बाजार और नीति समर्थन से बाजरा न केवल किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा कवच बनेगा बल्कि भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाएगा।

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