नई दिल्ली, 30 जुलाई (कृषि भूमि ब्यूरो):
आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्यभर में कृषि यंत्रों की विस्तृत गणना (Inventory) का कार्य शुरू कर दिया है। उन्नत तकनीक आधारित योजना ‘APAIMS 2.0’ के तहत ट्रैक्टर, थ्रेशर, कंबाइन हार्वेस्टर, ड्रोन, स्प्रेयर आदि जैसे यंत्रों की स्थिति, कंपनी (मेक), और कार्यक्षमता (कंडीशन) की जानकारी एकत्र की जाएगी। सर्वेक्षण को 31 अगस्त 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
यह सर्वे APAIMS 2.0 (Andhra Pradesh Agri Integrated Management System) के तहत किया जा रहा है, जो राज्य सरकार की एक उन्नत डिजिटल पहल है। इसका उद्देश्य कृषि को डेटा-संचालित, पारदर्शी और कुशल बनाना है।
सर्वेक्षण के प्रमुख उद्देश्य:
- सब्सिडी (Subsidy) वितरण को सटीक और न्यायसंगत बनाना
- कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHCs) की बेहतर योजना और तैनाती
- कृषि ड्रोन की सही लोकेशन और आवश्यकतानुसार उपयोग
- एआई आधारित कृषि सलाह सेवाओं को यंत्र-आधारित डेटा से सशक्त बनाना
राज्य कृषि विभाग (State Agriculture Department) के अनुसार, यह सर्वेक्षण किसानों, मशीन ऑपरेटरों, ग्राम सचिवालयों और कृषि सहायकों के सहयोग से किया जाएगा। सभी कृषि यंत्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर टैग किया जाएगा, जिससे नक्शे आधारित ट्रैकिंग और स्थानीय जरूरतों का आकलन किया जा सके।
राज्य कृषि आयुक्त ने बताया, ‘APAIMS 2.0 सिर्फ एक डेटा संग्रह प्रणाली नहीं है, बल्कि यह किसानों को सटीक तकनीकी समाधान और संसाधनों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।’
इस योजना के तहत आगे चलकर कृषि यंत्रों की जियो-टैगिंग किया जाना और एआई प्लेटफॉर्म (AI Platform) से जुड़ी पूर्वानुमानित मरम्मत और रखरखाव सेवाएं को मुहैया कराना है। इसके अलावा मशीन शेयरिंग मॉडल का विकास कर छोटे किसानों को आधुनिक उपकरणों का लाभ प्रदान करना है।
आंध्र प्रदेश का यह कदम न केवल कृषि यंत्रीकरण को एक नई दिशा देगा, बल्कि डिजिटल कृषि अर्थव्यवस्था की ओर भी एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह मॉडल सफल होता है, तो इसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।
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