नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत सरकार ने दो सालों के अंतराल के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ‘De-Oiled Rice Bran’ (डिऑयल्ड राइस ब्रान) के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। इस फैसले से देश के कृषि निर्यात क्षेत्र को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है, साथ ही किसानों और पशु चारा उद्योग से जुड़े व्यवसायों को भी राहत मिलेगी।
डिऑयल्ड राइस ब्रान, चावल की भूसी से तेल निकालने के बाद बचा हुआ हिस्सा होता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से पशु आहार के रूप में किया जाता है। भारत दुनिया के प्रमुख चावल उत्पादक देशों में से एक है, इसलिए इस उप-उत्पाद की उपलब्धता देश में प्रचुर मात्रा में है। हालांकि, घरेलू मांग को प्राथमिकता देने के चलते सरकार ने 2023 में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह पाबंदी दो साल तक लागू रही और अब 1 अक्टूबर 2025 से इसे औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया गया है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, यह निर्णय देश में डिऑयल्ड राइस ब्रान की पर्याप्त आपूर्ति और उत्पादन का विश्लेषण करने के बाद लिया गया है। मंत्रालय का मानना है कि निर्यात पर लगी रोक को हटाने से न केवल किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा, बल्कि प्रसंस्करण इकाइयों को भी फिर से सक्रिय किया जा सकेगा। इसके अलावा, भारत के कृषि निर्यात में विविधता लाने की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब भारत को वैश्विक पशु आहार बाजार में अपनी स्थिति फिर से मजबूत करने की जरूरत थी। वियतनाम, बांग्लादेश, मिडल ईस्ट और अफ्रीकी देशों में डिऑयल्ड राइस ब्रान की अच्छी मांग है, और भारत इन बाजारों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है।
कई किसान संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि इससे चावल मिलों को भी आर्थिक मजबूती मिलेगी। एक्सपोर्टर्स के अनुसार, यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को फिर से स्थापित करेगा।
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