FSSAI ने कहा – कैमेलिया साइनेंसिस से बनी हो तभी कहलाएगी ‘चाय’, हर्बल टी कहना होगा मिसब्रांडिंग

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण – FSSAI ने “चाय” के नाम से बेचे जा रहे विभिन्न उत्पादों को लेकर अहम स्पष्टीकरण जारी किया है। नियामक ने साफ किया है कि भारत में केवल कैमेलिया साइनेंसिस (Camellia sinensis) पौधे से प्राप्त उत्पादों को ही “चाय” के रूप में लेबल और बेचा जा सकता है। इसके अलावा किसी भी अन्य पौधे से बने हर्बल, फ्लावर या प्लांट-आधारित इन्फ्यूजन को “चाय” कहना भ्रामक है और यह खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिसब्रांडिंग की श्रेणी में आता है।

हर्बल टी और फ्लावर टी जैसे शब्द भ्रामक: FSSAI

FSSAI ने  24 दिसंबर 2025 को जारी आधिकारिक स्पष्टीकरण में बताया कि उसके संज्ञान में आया है कि कई खाद्य व्यवसाय संचालक (FBOs) “हर्बल टी”, “फ्लावर टी”, “रूइबोस टी” जैसे नामों से उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं, जबकि ये कैमेलिया साइनेंसिस से प्राप्त नहीं होते।

प्राधिकरण के अनुसार, ऐसे नाम उपभोक्ताओं को भ्रमित करते हैं और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत इन्हें मिसब्रांडिंग माना जाएगा। FSSAI ने स्पष्ट रूप से कहा है कि Camellia sinensis से इतर किसी भी उत्पाद के लिए “चाय” शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

2011 के विनियमों में “चाय” की स्पष्ट परिभाषा

FSSAI ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) विनियम, 2011 के तहत “चाय” शब्द विशेष रूप से कैमेलिया साइनेंसिस से बने उत्पादों के लिए आरक्षित है। इसमें ग्रीन टी, कांगड़ा टी और ठोस रूप में इंस्टेंट टी भी शामिल हैं।

इसके साथ ही, लेबलिंग नियमों के अनुसार प्रत्येक पैकेट पर खाद्य पदार्थ की वास्तविक प्रकृति और सही नाम का स्पष्ट उल्लेख अनिवार्य है, ताकि उपभोक्ता को किसी तरह का भ्रम न हो।

हर्बल इन्फ्यूजन को ‘चाय’ नहीं कह सकते

FSSAI ने जोर देकर कहा कि कैमेलिया साइनेंसिस से इतर किसी भी पौधे से बनी हर्बल या प्लांट-आधारित इन्फ्यूजन और ब्लेंड को “चाय” नहीं कहा जा सकता। ऐसे उत्पादों को उनकी संरचना के आधार पर या तो प्रोप्राइटरी फूड की श्रेणी में रखा जाएगा या फिर गैर-निर्दिष्ट खाद्य एवं खाद्य अवयवों के लिए निर्धारित स्वीकृति नियमों के तहत अनुमति लेनी होगी।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को भी निर्देश

FSSAI ने सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (FBOs), जिनमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स भी शामिल हैं, को निर्देश दिया है कि वे नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें और कैमेलिया साइनेंसिस से इतर किसी भी उत्पाद के लिए “चाय” शब्द का उपयोग न करें।

राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और क्षेत्रीय निदेशकों को अनुपालन की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी तरह के उल्लंघन की स्थिति में खाद्य कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।

FSSAI के इस स्पष्टीकरण से चाय उद्योग और हर्बल उत्पाद बेचने वाली कंपनियों के लिए नियम और स्पष्ट हो गए हैं। अब “चाय” नाम का इस्तेमाल केवल पारंपरिक चाय उत्पादों तक सीमित रहेगा, जबकि हर्बल और प्लांट-आधारित इन्फ्यूजन को अलग पहचान और सही लेबलिंग के साथ बाजार में उतारना अनिवार्य होगा।

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