पटना, 24 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): बिहार सरकार ने राज्य के मशरूम किसानों को बड़ी राहत देते हुए मशरूम उत्पादन को औपचारिक रूप से खेती की श्रेणी में शामिल करने का फैसला किया है। इसके साथ ही अब मशरूम किसानों को बिजली व्यावसायिक दरों पर नहीं, बल्कि सामान्य किसानों की तरह सिर्फ 55 पैसे प्रति यूनिट की रियायती दर पर उपलब्ध कराई जाएगी।
सरकार के इस कदम से मशरूम उत्पादन की लागत में बड़ी कमी आने की उम्मीद है, जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ेगा और इस खेती को नया प्रोत्साहन मिलेगा।
अब तक क्यों होती थी परेशानी
बिहार में मशरूम की खेती करने वाले किसानों को गैर-घरेलू यानी व्यावसायिक उपभोक्ता माना जाता था। इसी वजह से उन्हें बिजली के लिए भारी-भरकम दरें चुकानी पड़ती थीं, जिससे उत्पादन लागत काफी बढ़ जाती थी। सरकार के नए फैसले से यह लंबे समय से चली आ रही समस्या अब खत्म हो गई है।
पहले बिजली की दरें कैसी थीं
मशरूम किसानों को अब तक निम्न दरों पर बिजली का भुगतान करना पड़ता था:
| क्षेत्र | खपत/कनेक्शन | बिजली दर |
|---|---|---|
| ग्रामीण क्षेत्र | 100 यूनिट तक | ₹3.35 प्रति यूनिट |
| ग्रामीण क्षेत्र | 100 यूनिट से अधिक | ₹21 प्रति यूनिट |
| शहरी क्षेत्र | 5 किलोवाट तक कनेक्शन | ₹6–7 प्रति यूनिट (औसत) |
इन दरों के कारण मशरूम उत्पादन छोटे किसानों के लिए महंगा सौदा बनता जा रहा था।
अब कितनी दर पर मिलेगी बिजली
राज्य के कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने घोषणा की है कि मशरूम उत्पादन को अब व्यावसायिक गतिविधि नहीं, बल्कि खेती माना जाएगा।
इसके तहत मशरूम किसानों को सामान्य किसानों की तरह ₹0.55 प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध कराई जाएगी।
यह फैसला खासकर छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए गेमचेंजर माना जा रहा है। बिजली की सस्ती दरों के अलावा बिहार सरकार पहले से ही मशरूम किसानों को 90% तक सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। इसमें शेड निर्माण, उपकरण, स्पॉन (बीज) और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं शामिल हैं। सरकार का मानना है कि बिजली दरों में कटौती के बाद यह सेक्टर और तेजी से आगे बढ़ेगा।
बिहार बना मशरूम उत्पादन में अग्रणी
बिहार आज देश के प्रमुख मशरूम उत्पादक राज्यों में शामिल हो चुका है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक:
| संकेतक | स्थिति |
|---|---|
| देश के कुल मशरूम उत्पादन में हिस्सेदारी | ~11% |
| उड़ीसा से आगे | हां |
| प्रमुख उत्पादन जिले | गया, भोजपुर, नालंदा व आसपास के क्षेत्र |
इन इलाकों में बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा मशरूम खेती से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
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