नई दिल्ली, 23 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देश में चना बाजार इस समय दबाव के दौर से गुजर रहा है। एक ओर जहां मंडियों में नई आवक और पुराने स्टॉक के कारण सप्लाई पर्याप्त बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर दाल मिलों, बेसन उद्योग और व्यापारियों की ओर से मांग कमजोर रहने से कीमतों में तेजी नहीं बन पा रही है। यही वजह है कि हाजिर बाजार के साथ-साथ वायदा बाजार में भी चने के भाव सीमित दायरे में कारोबार कर रहे हैं।
मंडी बाजार: आवक ज्यादा, खरीद सीमित
मुख्य उत्पादक राज्यों की मंडियों में चने की आवक सामान्य से बेहतर बताई जा रही है। हालांकि, खरीदार केवल तत्काल जरूरत के हिसाब से ही सौदे कर रहे हैं।
- राजस्थान की मंडियाँ: देशी चना का भाव मोटे तौर पर ₹2,500 से ₹5,400 प्रति क्विंटल के बीच देखा गया।
- हरियाणा: यहां चने के दाम अपेक्षाकृत मजबूत रहे, लेकिन फिर भी सीमित दायरे में ₹5,200 से ₹6,500 प्रति क्विंटल के आसपास कारोबार हुआ।
- बीकानेर क्षेत्र: प्रमुख व्यापार केंद्रों में चना ₹5,100 से ₹5,900 प्रति क्विंटल के बीच बोला गया।
- मध्य प्रदेश (इंदौर सहित): देसी चना ₹4,600 से ₹7,500 प्रति क्विंटल तक रहा, जबकि डॉलर चना ऊंचे ग्रेड के कारण ₹6,300 से ₹9,800 प्रति क्विंटल तक बोला गया।
कुल मिलाकर मंडियों में कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव नहीं दिखा। बाजार जानकारों का कहना है कि जब तक मांग पक्ष से ठोस समर्थन नहीं मिलता, तब तक भाव ऊपर की ओर टिक नहीं पाएंगे।
NCDEX चना वायदा: सीमित दायरे में कारोबार
वायदा बाजार में भी चना नरम रुख के साथ कारोबार करता दिखा। NCDEX पर चना ग्राम वायदा का भाव आज लगभग ₹5,200–₹5,250 प्रति क्विंटल के आसपास रहा। ट्रेडिंग वॉल्यूम सीमित रहा, जिससे साफ है कि बाजार में फिलहाल बड़े सटोरिया या हेजर सक्रिय नहीं हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, चना वायदा में पहले से ही नियामकीय सख्ती और कम लिक्विडिटी के चलते कारोबार सुस्त है। हाजिर बाजार में कमजोरी का असर वायदा पर भी दिख रहा है, जिससे फ्यूचर रेट में कोई मजबूत तेजी नहीं बन पा रही।
आगे का बाजार संकेत
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि निकट अवधि में चना बाजार स्थिर से कमजोर दायरे में रह सकता है।
- अगर घरेलू खपत में सुधार आता है या दाल-बेसन की मांग बढ़ती है, तो भाव को कुछ सहारा मिल सकता है।
- वहीं, यदि आवक का दबाव इसी तरह बना रहा और मांग सुस्त रही, तो कीमतों पर और दबाव संभव है।
फिलहाल चना बाजार सतर्कता के माहौल में है, जहां व्यापारी और किसान दोनों ही आगे की मांग-आपूर्ति की स्थिति को देखकर कदम बढ़ा रहे हैं।
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