नई दिल्ली, 19 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): लोकसभा ने गुरुवार को 20 साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेने वाले ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, 2025’ को पारित कर दिया। विपक्ष के कड़े विरोध और हंगामे के बीच करीब आठ घंटे की बहस के बाद यह विधेयक ध्वनिमत से मंजूर किया गया। विपक्षी दलों ने इसे दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना और महात्मा गांधी के विचारों पर “सीधा हमला” करार दिया।
बिल पेश करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नया कानून ग्रामीण भारत में आजीविका के अवसर बढ़ाएगा, सिस्टम में पारदर्शिता लाएगा और विकास कार्यों को अधिक प्रभावी बनाएगा। उन्होंने मनरेगा की जगह नया कानून लाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह योजना गांधीवादी मूल्यों के अनुरूप है और गांवों के समग्र उत्थान पर केंद्रित है।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा,
“कांग्रेस ने बापू के आदर्शों को मारने का काम किया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें जीवित रखा है। बापू आज हमारे दिलों में एक विचार के रूप में जिंदा हैं और उन्हीं आदर्शों को इस नई योजना में लागू किया गया है, जो गरीब की जिंदगी बदलने का काम करेगी।”
विपक्ष का आरोप: मजदूर अधिकार कमजोर होंगे
विपक्ष ने बिल का तीखा विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सरकार एक ऐतिहासिक कल्याणकारी कानून को खत्म कर रही है। विपक्षी सांसदों का दावा है कि नए कानून से ग्रामीण रोजगार की गारंटी कमजोर होगी और गरीब परिवारों को मिलने वाले कार्यदिवस घट सकते हैं। बहस के दौरान सदन में भारी हंगामा हुआ—सांसदों ने वेल में नारेबाजी की, बिल की प्रतियां फाड़ीं और सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया।
हंगामे के बीच बिल पारित होने के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। विधेयक अब आगे की मंजूरी के लिए राज्यसभा भेजा जाएगा। संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह नया रोजगार कानून देशभर में लागू होगा। शुक्रवार को शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन है।
प्रियंका गांधी का हमला
लोकसभा में बिल पास होने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि पार्टी इस कानून को सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह चुनौती देगी। उन्होंने कहा,
“यह प्रस्तावित कानून ग्रामीण रोजगार गारंटी को पूरी तरह खत्म कर देगा। विपक्ष एकजुट है और सरकार के इस कदम का जोरदार विरोध करेगा।”
संसद परिसर में मार्च, सड़क तक संघर्ष का ऐलान
इससे पहले दिन में विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर में मार्च निकाला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में सांसद गांधी प्रतिमा से प्रेरणा स्थल तक पहुंचे और ‘महात्मा गांधी NREGA’ लिखे बैनर के साथ बिल वापस लेने की मांग की। मार्च में के.सी. वेणुगोपाल, कनिमोझी करुणानिधि, ए. राजा, ई.टी. मोहम्मद बशीर, अरविंद सावंत और एन.के. प्रेमचंद्रन सहित INDIA गठबंधन के कई नेता शामिल हुए।
खड़गे ने चेतावनी दी कि यह लड़ाई संसद से सड़क तक जाएगी और देशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। मनरेगा को हटाने के सरकार के फैसले और विपक्ष के उग्र विरोध को देखते हुए आने वाले दिनों में ग्रामीण रोजगार गारंटी को लेकर सियासी टकराव और तेज होने के संकेत हैं।
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