चीन ने खरीद फिर शुरू की, फिर भी USDA ने U.S. सोयाबीन एक्सपोर्ट आउटलुक नहीं बदला – भारत पर क्या असर?

Soyabean kharid

मुंबई, 10 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): U.S. डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर (USDA) ने अपनी नवीनतम मासिक रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि चीन की खरीदारी दोबारा शुरू होने के बावजूद सोयाबीन एक्सपोर्ट अनुमान अपरिवर्तित रहेगा। महीनों की ट्रेड वॉर के कारण चीन ने खरीद रोक दी थी, लेकिन अक्टूबर के अंत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद चीन ने फिर से अमेरिकी सोयाबीन खरीदने का फैसला किया।

फिर भी USDA का अनुमान संकेत देता है कि मौजूदा खरीदारी वैश्विक मांग और पिछले वर्षों के स्तर की तुलना में काफी कम है।

13 साल का सबसे निचला एक्सपोर्ट अनुमान

USDA ने 2025/26 (31 अगस्त को समाप्त) सीजन के लिए U.S. सोयाबीन एक्सपोर्ट अनुमान 1.635 बिलियन बुशेल पर ही रखा है, जो पिछले वर्ष से 13% कम और 13 वर्षों में सबसे निचला स्तर है। एंडिंग स्टॉक भी 290 मिलियन बुशेल पर स्थिर रखा गया है।

चीन ने वापस खरीद शुरू कर दी है और मौजूदा फसल से 12 मिलियन मीट्रिक टन खरीदने का संकेत दिया है। अब तक 2.9 मिलियन मीट्रिक टन खरीद कन्फर्म हो चुकी है और कुछ शिपमेंट भेजे जा चुके हैं।

लेकिन यह मात्रा पिछले वर्षों के सामान्य आयात स्तर से काफी कम है, जिससे अमेरिकी किसानों की आय और फ्यूचर्स कीमतों पर दबाव बना हुआ है।

कम बिक्री के कारण आउटलुक में और कटौती की आशंका

USDA डेटा दिखाता है कि नवंबर की शुरुआत तक सोयाबीन की कुल बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 40% कम थी। मार्केट विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरावट भविष्य में एक्सपोर्ट आउटलुक में और कटौती का आधार बन सकती है।

ज़ेनर ग्रुप के चीफ स्ट्रेटजिस्ट टेड सीफ्राइड के मुताबिक, USDA शायद उम्मीद कर रहा है कि चीन भविष्य में खरीद बढ़ाएगा या अन्य ग्लोबल खरीदार अंतर को भर देंगे। लेकिन फिलहाल U.S. किसानों पर दबाव बना हुआ है।

स्थिति को संभालने के लिए व्हाइट हाउस ने $12 बिलियन के किसान सहायता पैकेज का ऐलान किया है।

कॉर्न एक्सपोर्ट में मजबूती, अनुमान बढ़ा

सोयाबीन से उलट, U.S. कॉर्न की विदेशी मांग मजबूत रही। USDA ने कॉर्न एक्सपोर्ट अनुमान बढ़ाकर 3.200 बिलियन बुशेल कर दिया, जो पिछले महीने के 3.075 बिलियन से ज्यादा है।
सीज़न के अंत में कॉर्न सप्लाई घटकर 2.029 बिलियन बुशेल रह गई है।

इसी कारण शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) पर कॉर्न फ्यूचर्स चढ़े, जबकि सोयाबीन फ्यूचर्स 30 अक्टूबर के बाद के न्यूनतम स्तर पर फिसल गए।

भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?

USDA के स्थिर अनुमान और चीन की सीमित खरीद का प्रभाव भारत के सोयाबीन, सोया तेल और सोया मील बाजार पर भी पड़ रहा है।

1. अंतरराष्ट्रीय दबाव से घरेलू कीमतों में नरमी की उम्मीद: ग्लोबल मार्केट में कमजोर मांग के कारण सोयाबीन और सोया तेल की कीमतें दबाव में हैं। इससे भारत में भी सोयाबीन, DOC और सोया ऑयल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर या नरम रह सकती हैं। भारत, जो बड़ी मात्रा में कच्चा सोया तेल आयात करता है, कम अंतरराष्ट्रीय कीमतों से लाभ उठा सकता है।

2. क्रशिंग इंडस्ट्री को राहत: कम ग्लोबल कीमतों से भारतीय क्रशर्स को बेहतर मार्जिन मिल सकते हैं। निर्यात के लिए भी भारत का सोया मील अधिक प्रतिस्पर्धी होगा, जिससे एशिया और मध्य पूर्व में मांग बढ़ सकती है।

3. फीड इंडस्ट्री पर सकारात्मक असर: सोया मील पोल्ट्री और डेयरी फीड का प्रमुख घटक है। ग्लोबल प्राइस दबाव से भारत में फीड कॉस्ट कम हो सकती है, जिससे उत्पादन लागत घटेगी।

4. किसानों के लिए मिला-जुला प्रभाव: कीमतों पर दबाव से MSP से ऊपर रेट मिलने की संभावना सीमित हो सकती है, लेकिन बेहतर क्रशिंग और मील एक्सपोर्ट सीजन के दौरान कीमतों को स्थिर रखने में मदद कर सकते हैं।

5. आयात बिल में कमी: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम कीमतों से भारत का सोया ऑयल आयात सस्ता होगा, जिससे कुकिंग ऑयल इम्पोर्ट बिल कम हो सकता है।

कुलमिलाकर, USDA की रिपोर्ट बताती है कि चीन की वापसी के बावजूद सोयाबीन एक्सपोर्ट का परिदृश्य कमजोर बना हुआ है। जहाँ U.S. किसानों के लिए यह चुनौती है, वहीं भारत के लिए वैश्विक कीमतों में नरमी तेल-बीज उद्योग, फीड सेक्टर और सोया तेल आयात में राहत ला सकती है।

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