डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में प्रसार शिक्षा पर ज़ोर: टॉप 20 केवीके का लक्ष्य

पटना, 28 नवम्बर, 2025 ( कृषि भूमि डेस्क): डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (DRPCAU) पूसा में प्रसार शिक्षा की दिशा और रणनीति तय करने के लिए 28 और 29 नवंबर को प्रसार शिक्षा परिषद की नौवीं महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विश्वविद्यालय के विस्तार कार्यक्रमों को नई गति देने और किसानों तक नवाचारों को पहुँचाने के लिए गहन विचार-विमर्श किया गया।

कुलपति का लक्ष्य: सभी केवीके को टॉप 20 में लाना

बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय ने प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुछ KVKs पहले से ही देश के शीर्ष दस कृषि विज्ञान केंद्रों में शामिल हैं।

डॉ. पांडेय ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य है कि विश्वविद्यालय के सभी सोलह KVKs को देशभर के शीर्ष 20 कृषि विज्ञान केंद्रों में शामिल किया जाए। उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे प्रसार के क्षेत्र में ऐसे मॉडल विकसित करें, जिनका उपयोग पूरे देश में कृषि विस्तार के लिए किया जा सके।

कुलपति ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान किसानों से जुड़ी जो समस्याएँ सामने आई हैं, उन पर तुरंत काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रसार के क्षेत्र में वार्षिक लक्ष्य तय करने और लक्ष्यों का मूल्यांकन हर तीन महीने पर स्वयं और छह महीने पर विश्वविद्यालय स्तर पर करने का निर्देश दिया।

समावेशी प्रसार शिक्षा और पूसा का महत्व

बैठक में शिरकत करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व उपमहानिदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. पी. दास ने पूसा के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा में पूसा का महत्व वैसा ही है, जैसा अयोध्या का है, क्योंकि यहीं से कृषि शिक्षा की शुरुआत हुई थी और यह एक तीर्थस्थल है।

डॉ. दास ने कहा कि अब प्रसार शिक्षा के तौर-तरीके काफी पुराने हो गए हैं। उन्होंने नए दौर में प्रसार शिक्षा को समावेशी बनाने और मल्टी डिसिप्लिनरी एप्रोच के साथ बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अनुसंधान स्तर पर जो उत्कृष्ट कार्य किए हैं, उन्हें किसानों तक ऐसे पहुँचाना ज़रूरी है कि वे तुरंत उनका उपयोग कर लाभ कमा सकें। उन्होंने कम पानी के इस्तेमाल और कार्बन फ्री कृषि जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में विस्तार शिक्षा के माध्यम से किसानों को जागरूक करने पर भी बल दिया।

किसान चाची ने दिया सफलता का मंत्र

पद्मश्री से सम्मानित और प्रगतिशील किसान राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को गुरूजन की तरह मानते हुए कहा कि यहीं से सीखकर उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार किया। उन्होंने कहा कि गरीबी के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हमारी सोच है। यदि हम ठान लें तो जीवन में कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने अपने जीवन में पाई-पाई को तरसने से लेकर सभी बाधाओं को पार करने तक का सफ़र तय किया।

प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. रत्नेश झा ने विश्वविद्यालय के वर्तमान इनोवेटिव कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस बैठक में डॉ. पी. दास, डॉ. रणधीर कुमार सिंह, योगेन्द्र कुमार पाठक और राघव शरण सिंह सहित कई वैज्ञानिक, शिक्षक और पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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