मुंबई, 28 नवम्बर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): भारत सरकार देश के कृषि क्षेत्र को जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) की निर्भरता से मुक्त करने और किसानों की उत्पादन लागत घटाने के लिए एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। सरकार की योजना अगले 5 से 10 वर्षों में कृषि मशीनरी को हरित ईंधन (Green Fuel) पर केंद्रित करने की है। इसका मतलब है कि भविष्य में खेती के काम में संपीड़ित बायोगैस (CBG) और बिजली से चलने वाले ट्रैक्टरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
कृषि सचिव ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि हरित ईंधन पर आधारित मशीनरी को बढ़ावा देना समय की मांग है। इस बदलाव का मुख्य लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों को सीधे लाभ पहुँचाना है, ताकि उनके परिचालन खर्च (Operational Cost) को कम किया जा सके।
CBG और इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों पर क्यों जोर?
डीजल से चलने वाले पारंपरिक ट्रैक्टरों का उपयोग किसानों के लिए दोहरी चुनौती खड़ी करता है। पहला, डीजल की बढ़ती कीमतें कृषि लागत को बढ़ाती हैं, और दूसरा, डीजल का दहन (combustion) पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
कम परिचालन खर्च: CBG (Compressed BioGas) और इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों को चलाने का खर्च डीजल के मुकाबले काफी कम होता है। CBG को गोबर या कृषि अपशिष्ट (agricultural waste) से बनाया जाता है, जिससे यह ईंधन सस्ता और सुलभ होता है।
पर्यावरण संरक्षण: हरित ईंधन, विशेष रूप से बिजली से चलने वाले ट्रैक्टर, शून्य उत्सर्जन (Zero Emission) करते हैं। CBG भी बायोमास पर आधारित होने के कारण पर्यावरण के लिए स्वच्छ माना जाता है।
किसानों को दोहरा लाभ: किसान न केवल CBG का उपयोग कर सकते हैं, बल्कि वह अपने खेत के कचरे (पराली, गोबर) का उपयोग करके बायोगैस उत्पादन में भी योगदान दे सकते हैं।
सरकार की भविष्य की योजना
सरकार इस बदलाव को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना बना रही है। इसके लिए नीतिगत प्रोत्साहन (Policy Incentives) और सब्सिडी की आवश्यकता होगी।
अनुसंधान और विकास: कृषि मशीनरी विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि CBG और इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों को भारतीय किसानों की ज़रूरत और खेतों की परिस्थितियों के अनुरूप बनाया जा सके।
बुनियादी ढाँचा (Infrastructure): CBG और इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के बुनियादी ढाँचे को ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।
छोटे किसानों के लिए पहुँच: योजना का मुख्य फोकस यह सुनिश्चित करना है कि यह नई तकनीक छोटे किसानों के लिए किफायती और सुलभ हो।
हरित ईंधन पर आधारित कृषि मशीनरी का यह कदम भारत की कृषि को टिकाऊ (Sustainable) बनाने और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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