नई दिल्ली, 19 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देश में गेहूं के मजबूत उत्पादन और बड़े भंडार को देखते हुए सरकार पर आटा और अन्य गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का दबाव बढ़ गया है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने केंद्र से अनुरोध किया है कि आटा, सूजी, मैदा जैसे उत्पादों के निर्यात की तत्काल अनुमति दी जाए, क्योंकि इस समय देश में गेहूं का बड़ा सरप्लस स्टॉक मौजूद है।
उपभोक्ता मंत्रालय ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए DGFT को एक चिट्ठी भेजी है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने गेहूं आधारित उत्पादों के निर्यात को मंजूरी देने की सिफारिश की है। शुरुआत में 10 लाख टन एक्सपोर्ट की अनुमति दिए जाने की संभावना जताई जा रही है और DGFT जल्द इसका नोटिफिकेशन जारी कर सकता है।
गेहूं उत्पादन और स्टॉक की स्थिति मजबूत
2024-25 में देश में गेहूं का रिकॉर्ड 117.54 मिलियन टन उत्पादन हुआ था। सरकार ने 2025-26 के लिए इसे बढ़ाकर 119 मिलियन टन का लक्ष्य रखा है। इस साल गेहूं की बुवाई में भी उल्लेखनीय बढ़त हुई है।
देश में गेहूं की बुआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो 14 नवंबर 2024-25 तक देश में 56.55 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी, जबकि 14 नवंबर 2025-26 में अब तक 66.23 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है।
सरकार ने 2024-25 की फसल से 30 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले चार साल में सबसे अधिक है। बड़ी खरीद और मजबूत पैदावार ने घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है।
क्यों मिलनी चाहिए निर्यात की मंजूरी
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने कहा है कि उद्योग लंबे समय से गेहूं के उत्पादों के एक्सपोर्ट की मांग कर रहा है। इस बार गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद है और घरेलू कीमतें स्थिर हैं। गेहूं की MSP बढ़ चुकी है, लेकिन बाजार भाव बढ़ने के बजाय स्थिर ही हैं। अगर निर्यात की मंजूरी नहीं मिली तो गेहूं की कीमतों में दबाव बढ़ सकता है और उसका हाल चावल की तरह हो सकता है, जहां निर्यात प्रतिबंधों के कारण घरेलू कीमतों में लगातार गिरावट देखी गई है।
RFMFI ने कहा है कि भारत यदि अगले छह महीनों में एक्सपोर्ट की अनुमति दे देता है, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय आटे की पकड़ और मजबूत हो सकती है क्योंकि भारतीय आटे की विदेशों में अच्छी मांग है। कीमतों को गिरने से रोकने और मिलों की आर्थिक सेहत बनाए रखने के लिए जल्द निर्णय आवश्यक है। RFMFI ने यह भी कहा कि सरकार को गेहूं की नीति में और स्पष्टता लानी चाहिए ताकि मिलों और किसानों दोनों को स्थिरता मिल सके।
कुल मिलकर, उद्योग जगत की उम्मीदें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार जल्द ही आटे और गेहूं उत्पादों के निर्यात पर अंतिम फैसला लेगी। मजबूत उत्पादन, उच्च स्टॉक और स्थिर कीमतों के बीच, यह फैसला घरेलू बाजार और कृषि अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अहम साबित हो सकता है।
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