नई दिल्ली, 18 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): मक्के पर कंट्रोल ऑर्डर लाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। किसान चाहते हैं कि सरकार मक्का (मकई) को आवश्यक वस्तु घोषित करे ताकि इथेनॉल डिस्टिलरी को कानूनी रूप से बाध्य किया जा सके कि वे किसानों से मक्का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदें। किसानों का कहना है कि सरकार ने वर्षों पहले वादा किया था कि बढ़ते एथेनॉल मिश्रण से उनकी आय दोगुनी होगी, लेकिन हकीकत उलट है—किसान MSP से काफी नीचे के भाव पर मक्का बेचने को मजबूर हैं जबकि कंपनियों को भारी फायदा मिल रहा है।
किसानों का आरोप: “फायदा किसानों को नहीं, डिस्टिलरी को मिला”
किसानों का कहना है कि इथेनॉल के दाम सरकार द्वारा गारंटीकृत हैं, लेकिन कच्चे माल यानी मक्का के दाम पर कोई सुरक्षा नहीं है। OMCs फिलहाल डिस्टिलरी से 71.86 रुपये प्रति लीटर की दर से इथेनॉल खरीद रही हैं। दूसरी ओर, मंडियों में उपलब्ध औसत मक्का भाव लगभग 1821 रुपये प्रति क्विंटल है, जिसके आधार पर एथेनॉल का मूल्य लगभग 54 रुपये प्रति लीटर होना चाहिए था।
किसानों के मुताबिक, सरकार द्वारा तय कीमतों का सीधा फायदा डिस्टिलरी को मिला, जबकि किसान MSP 2400 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले काफी कम कीमत पर अपनी फसल बेच रहे हैं। किसानों ने यह भी याद दिलाया कि 2014 में केंद्र सरकार ने दावा किया था कि किसान “ऊर्जा उत्पादक” बनेंगे और उनकी आय बढ़ेगी। एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य तय समय (2030) से पहले 2025 में ही पूरा कर लिया गया, लेकिन किसानों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाया।
FRP गन्ने पर लागू, तो मक्का पर क्यों नहीं?
किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने सवाल उठाया कि जब शुगर मिलों को गन्ना FRP पर खरीदना कानूनी रूप से अनिवार्य है, तो मक्का किसानों को MSP गारंटी क्यों नहीं मिलती। उनका तर्क है कि यदि मक्का को आवश्यक वस्तु घोषित कर कंट्रोल ऑर्डर लागू किया जाए, तो डिस्टिलरी मजबूर होंगी कि MSP पर ही खरीदें। इससे बाजार में स्वतः अनुशासन आएगा और कीमतों में स्थिरता देखी जाएगी, जैसा कि 2025 के गेहूं खरीद सीज़न में हुआ था।
क्या सरकार कंट्रोल ऑर्डर ला सकती है?
कमोडिटी ट्रेडिंग से जुड़े विशेषज्ञों की राय किसानों की उम्मीदों से अलग है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, मक्का पर कंट्रोल ऑर्डर लागू होते नहीं दिखता। उनका कहना है कि इस साल मक्का की बुआई 12% बढ़ी है और उत्पादन में लगभग 20% की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल का कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक भी 2.5 करोड़ बोरे है।
इन परिस्थितियों में बाजार में सप्लाई बहुत अधिक है और यह कीमतों पर लगातार दबाव बना रही है। MSP 2400 रुपये प्रति क्विंटल होने के बावजूद बेहतरीन क्वालिटी का मक्का भी 1900 रुपये प्रति क्विंटल से कम में बिक रहा है। उनके अनुसार, स्टॉकिस्ट, सरकारी खरीद और एथेनॉल के लिए मांग सभी कमजोर दिखाई देती हैं, जिससे निकट भविष्य में कीमतों में सुधार की गुंजाइश सीमित है।
मक्का बाजार में गिरावट जारी, किसान दबाव में
पिछले कुछ महीनों में मक्का के दाम लगातार गिरे हैं। बढ़े हुए उत्पादन, भारी स्टॉक और कमजोर मांग के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि ऐसी स्थिति में MSP गारंटी ही उन्हें बचा सकती है और यही वजह है कि कंट्रोल ऑर्डर लाने की मांग बढ़ रही है।
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