मुंबई, 11 नवंबर (कृषि भूमि): भारत के मसाला बाजार में हल्दी (Turmeric) के दामों में एक बार फिर तेजी लौट आई है। NCDEX दिसंबर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट ₹15,200–₹15,600 प्रति क्विंटल के दायरे में पहुंच गया है, जबकि स्पॉट मार्केट में भी 2–3% की मजबूती दर्ज की गई है। निजामाबाद, इरोड और सांगली की प्रमुख मंडियों में हल्दी का भाव अब ₹13,000 से ₹19,000 प्रति क्विंटल के बीच ट्रेड कर रहा है।
🟡 फसल की चिंता और सीमित आवक
तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे मुख्य उत्पादक राज्यों में हाल की भारी बारिश और रोगों के असर से फसल की गुणवत्ता व उपज दोनों पर दबाव बना है। इसी के साथ किसानों के पास स्टॉक घटने और मंडियों में सीमित आवक के कारण आपूर्ति घट गई है। आवक कम रहने और शादी-त्योहारी सीज़न की घरेलू मांग के चलते बाजार में हल्दी के दामों को मजबूत सहारा मिल रहा है।
कमोडिटी विश्लेषकों के अनुसार, फिलहाल यह तेजी सप्लाई-साइड फैक्टर्स पर आधारित है। हालांकि, यदि मौसम सामान्य रहता है और नई फसल की आवक समय पर शुरू होती है, तो आने वाले हफ्तों में भाव स्थिर भी हो सकते हैं।
🟡 मंडियों की स्थिति
निजामाबाद (तेलंगाना) में हल्दी के औसत भाव ₹13,500 प्रति क्विंटल के करीब रहे। इरोड (तमिलनाडु) में अच्छी गुणवत्ता वाली हल्दी ₹13,800 तक बिकी, जबकि सांगली (महाराष्ट्र) में प्रीमियम ग्रेड ₹19,000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। मंडियों में खरीदार सक्रिय हैं, लेकिन स्टॉक सीमित होने से आपूर्ति पर लगातार दबाव है।
🟡 बाजार विश्लेषण और तकनीकी दृष्टि
हल्दी फ्यूचर्स ₹15,000 के ऊपर स्थिर बने हुए हैं। ट्रेडिंग फर्मों का कहना है कि ₹14,200–₹14,600 का स्तर फिलहाल मजबूत सपोर्ट दिखा रहा है, जबकि ₹15,900–₹16,300 की रेंज अगला प्रतिरोध बन सकती है। निवेशकों और व्यापारियों के लिए यह संकेत है कि फिलहाल बाजार अपसाइड बायस के साथ चल रहा है।
🟡 उत्पादन और नीति संकेत
स्पाइसेज़ बोर्ड के एडवांस अनुमानों के मुताबिक 2024-25 सीज़न में देश का हल्दी उत्पादन लगभग 11.1 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि, कुछ राज्यों में असमय बारिश और बीमारियों के कारण वास्तविक उत्पादन इससे कम रह सकता है।
इधर, नेशनल टरमेरिक बोर्ड (निजामाबाद) की स्थापना और अरमूर हल्दी को GI टैग मिलने जैसी पहलें हल्दी उद्योग के लिए दीर्घकालिक रूप से सकारात्मक मानी जा रही हैं। इन कदमों से किसानों को बेहतर मूल्य, निर्यात ब्रांडिंग और क्वालिटी सर्टिफिकेशन में मदद मिलेगी।
🟡 आगे का रुझान
कम आवक और ऊंची मांग की वजह से हल्दी के भाव फिलहाल मजबूत बने रहने की संभावना है। यदि फसल की स्थिति सुधरती है और नई आवक बढ़ती है, तो दिसंबर के अंत तक कुछ स्थिरता देखी जा सकती है। हालांकि, निर्यात की मांग और घरेलू उपभोग में बढ़ोतरी जारी रही तो कीमतों में फिर एक और उछाल संभव है।
हल्दी बाजार में तेजी का यह दौर किसानों के लिए राहत और उपभोक्ताओं के लिए चिंता दोनों लेकर आया है। फसल जोखिम और कम सप्लाई ने कीमतों को सहारा दिया है, वहीं नीति स्तर पर की गई पहलें उद्योग को दीर्घकालिक स्थिरता दे सकती हैं। मौसम, आवक और मांग – यही तीन बातें आने वाले हफ्तों में हल्दी के दामों की अगली दिशा तय करेंगे।
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