मुंबई, 23 अक्टूबर (कृषि भूमि डेस्क): अमेरिका द्वारा रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों — रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकोइल (Lukoil) — पर प्रतिबंध लगाने के बाद, गुरुवार सुबह वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला।
गुरुवार सुबह 9:57 बजे तक, दिसंबर ब्रेंट ऑयल वायदा 3.07% बढ़कर 64.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि WTI कच्चे तेल वायदा 3.21% बढ़कर 60.38 डॉलर प्रति बैरल पर था।
घरेलू बाजार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर नवंबर महीने के कच्चे तेल वायदे ₹5,324 पर कारोबार कर रहे थे, जो पिछले बंद भाव ₹5,151 की तुलना में 3.36% की वृद्धि दर्शाता है। दिसंबर वायदे ₹5,317 पर रहे, जो 2.88% अधिक है।
अमेरिकी प्रतिबंधों का असर
अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा कि ये प्रतिबंध रूस की ऊर्जा आपूर्ति और क्रेमलिन की आय अर्जित करने की क्षमता को सीमित करेंगे।
वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा,
“रूस को युद्धविराम लागू करना चाहिए। राष्ट्रपति पुतिन के इनकार के कारण हम रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, जो रूस की युद्ध मशीन को वित्तपोषित करती हैं। हम अपने सहयोगियों से इन प्रतिबंधों में शामिल होने का आग्रह करते हैं।”
अमेरिका का यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति प्रयासों को गति देने और क्रेमलिन पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है।
बाज़ार में हलचल: तेल कीमतों में तेजी
इन प्रतिबंधों के तुरंत बाद वैश्विक बाज़ार में तेल की कीमतें उछल गईं। कमोडिटी विशेषज्ञ वॉरेन पैटरसन (ING Think) ने कहा कि,
“रोसनेफ्ट और लुकोइल मिलकर प्रतिदिन 50 लाख बैरल से अधिक तेल का उत्पादन करते हैं। यदि इन पर प्रतिबंधों का प्रभाव वास्तविक हुआ, तो यह वैश्विक आपूर्ति को झटका दे सकता है।”
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे पहले जनवरी 2025 में लगाए गए समान प्रतिबंधों का असर सीमित रहा था।
“अब देखना होगा कि क्या ये नए प्रतिबंध रूस से तेल के प्रवाह को कम कर पाते हैं, या फिर रूस एक बार फिर वैकल्पिक रास्ते निकाल लेता है,” उन्होंने कहा।
अमेरिकी भंडार में गिरावट से भी मिला समर्थन
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 17 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में अमेरिका के कच्चे तेल के भंडार में 10 लाख बैरल की कमी आई है। गैसोलीन और आसुत ईंधन के भंडार में क्रमशः 21 लाख बैरल और 15 लाख बैरल की गिरावट दर्ज की गई। भंडार में इस गिरावट ने भी कच्चे तेल की कीमतों को सहारा दिया है।
अन्य जिंसों में हलचल
- निकेल वायदा (MCX) पर 1.71% की गिरावट के साथ ₹1,318.50 पर कारोबार हुआ।
- ग्वारगम (NCDEX) 0.29% बढ़कर ₹9,078 पर रहा।
- हल्दी दिसंबर वायदा (NCDEX) 0.91% गिरकर ₹15,200 पर ट्रेड हुआ।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों का वास्तविक असर तेल आपूर्ति शृंखला में आने वाले हफ़्तों में दिखाई देगा।
अगर रूस पर दबाव बढ़ता है और वह अपने निर्यात को सीमित करता है, तो तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच सकती हैं।
हालांकि, चीन और भारत जैसे बड़े खरीदार रूस से छूट वाले तेल की खरीद जारी रख सकते हैं, जिससे बाजार का संतुलन कुछ हद तक बना रह सकता है।
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