नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देशभर में चने की कीमतों में कमजोरी का रुझान जारी है, जो इंपोर्टेड चने के दाम में गिरावट और नई चना-मटर की आवक के कारण है। चना उत्पादक क्षेत्रों में बारिश के बाद की मौसम स्थिति और निचले दामों के बावजूद किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में फसल की बिक्री के चलते बाजार में दबाव बना हुआ है।
इंपोर्टेड चने के दाम में गिरावट
इंपोर्टेड चने की कीमतों में गिरावट ने भारतीय चना बाजार को और प्रभावित किया है। भारत में चने की मांग कम होने के कारण, आयातित चने की उपलब्धता अधिक हो गई है, जिससे घरेलू उत्पादकों को अपनी फसल की कीमतों में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, प्रमुख उत्पादक देशों से चने का आयात और भारतीय बाजार में उसकी प्रतिस्पर्धा ने मूल्य दबाव को और बढ़ा दिया है।
नई आवक का असर
इसके अलावा, चना और मटर की नई आवक ने भी घरेलू बाजार में दबाव को बनाए रखा है। आगामी रबी सीजन के साथ, किसानों द्वारा नई फसल की आपूर्ति बढ़ने की संभावना है, जिससे कीमतों में और गिरावट आ सकती है। यही नहीं, बुवाई के लिए किसानों द्वारा बीज की भी मजबूत आपूर्ति की जा रही है, जो आने वाले समय में बाजार पर और असर डाल सकता है।
बाजार की स्थिति
विशेषज्ञों के अनुसार, चने की कीमतों में यह गिरावट बाजार की स्थिति के मुताबिक सामान्य है, लेकिन अगर इस प्रकार का दबाव लगातार बना रहा तो आने वाले महीनों में कीमतों में सुधार होने की संभावना भी जताई जा रही है। चना उत्पादकों को सलाह दी जा रही है कि वे आने वाले समय में फसल के प्रति सावधानी बरतें और बाजार की दिशा को ध्यान में रखते हुए विक्रय रणनीतियाँ अपनाएं।
निर्यात पर भी असर
इस कमजोरी का असर भारतीय चना निर्यात पर भी पड़ सकता है, क्योंकि वैश्विक बाजार में अन्य देशों से चने के दाम सस्ते होने के कारण भारत के निर्यात में कमी आ सकती है। यह स्थिति स्थानीय किसानों के लिए एक चिंता का विषय बन सकती है, जो पहले ही कम दामों का सामना कर रहे हैं।
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