नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारी बारिस और बाढ़ के कारण पंजाब और हरियाणा में बासमती चावल की फसल को नुकसान पहुँचने के बावजूद, चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत का बासमती चावल निर्यात उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज कर रहा है।
कृषि व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य राज्यों में उत्पादन बेहतर रहने की संभावना है और प्रमुख आयातक देशों से मांग लगातार मजबूत बनी हुई है। उद्योग जगत का अनुमान है कि भारत का कुल बासमती उत्पादन पिछले वर्ष के स्तर के लगभग समान रहेगा।
केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल–अगस्त 2025 के दौरान भारत का बासमती चावल निर्यात 2.7 मिलियन टन तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।
वर्ष 2024 के इसी अवधि (अप्रैल–अगस्त) में देश से लगभग 2.3 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। यानी इस बार शिपमेंट में करीब 4 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के अध्यक्ष के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में बासमती चावल निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
संगठन का अनुमान है कि भारत का कुल बासमती निर्यात इस वर्ष 6.5 मिलियन टन तक पहुँच सकता है — जो अब तक का सर्वाधिक स्तर होगा। जबकि वर्ष 2024-25 में कुल निर्यात लगभग 6.07 मिलियन टन रहा था।
निर्यात बढ़ने के प्रमुख कारण
खाड़ी देशों, यूरोप और अमेरिका में भारतीय बासमती की सुगंध और गुणवत्ता को लेकर मांग लगातार बनी हुई है। पंजाब और हरियाणा में बाढ़ के बावजूद उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में फसल की स्थिति संतोषजनक है। इसके अलावा, भारतीय निर्यातक अब जापान और दक्षिण अफ्रीका के कुछ देशों में भी बासमती चावल निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
कुलमिलाकर, भारत के बासमती चावल निर्यात ने FY2025-26 की पहली पाँच महीनों में ही मजबूत प्रदर्शन किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि यह रुझान जारी रहा, तो भारत आगामी महीनों में बासमती निर्यात का नया रिकॉर्ड बना सकता है।
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