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नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): इस वर्ष खरीफ सीजन में देशभर में 1121 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलों की बुवाई की गई है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मक्का के बुवाई क्षेत्र में 12 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, और उड़द के बुवाई क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, इस वर्ष कपास और तिलहन का रकबा घटा है, जो एक चिंताजनक संकेत हो सकता है। इसके साथ ही, मोटे अनाजों के उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है, जो स्वस्थ और पोषक राष्ट्र की ओर अग्रसर होने का संकेत है।

कृषि मंत्रालय के ताजे आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष मक्का के बुवाई क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में विशेष बढ़ोतरी हुई है, जो खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मक्का के उत्पादन में वृद्धि से न केवल खाद्य की कमी को दूर किया जा सकेगा, बल्कि यह किसानों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा। इसके अलावा, उड़द की बुवाई में भी 6.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जो इस कड़ी मेहनत और स्थिर कृषि नीति के परिणामस्वरूप संभव हुआ है।

हालांकि, कपास और तिलहन की बुवाई में कमी देखी गई है। कपास के रकबे में पिछले साल की तुलना में गिरावट आई है, जबकि तिलहन के क्षेत्र में भी कमी आई है। यह गिरावट किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि सरकार आगामी महीनों में इस समस्या को सुलझाने के लिए उपायों पर काम करेगी।

इस वर्ष मोटे अनाजों के बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी से भारतीय कृषि क्षेत्र की सुदृढ़ता और खाद्य विविधता को बढ़ावा मिलेगा। मोटे अनाजों का उत्पादन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनमें अधिक पोषक तत्व होते हैं। इस वृद्धि से देश के खाद्य सुरक्षा का स्तर ऊंचा होगा और किसान अधिक विविध फसलें उगा सकेंगे।

  • खरीफ फसलों की बुवाई 1121 लाख हेक्टेयर से अधिक: इस वर्ष खरीफ सीजन में बुवाई का क्षेत्र रिकॉर्ड स्तर पर।
  • मक्का में 12% वृद्धि: मक्का के उत्पादन में 12 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना, जिससे खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा
  • उड़द में 6.5% वृद्धि: उड़द के उत्पादन में वृद्धि, किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
  • कपास और तिलहन का रकबा घटा: कपास और तिलहन की बुवाई में कमी, कृषि क्षेत्र के लिए एक चुनौती।
  • मोटे अनाजों में वृद्धि: मोटे अनाजों के उत्पादन में वृद्धि से पोषण स्तर में सुधार होगा।

कृषि मंत्रालय का मानना है कि इस बुवाई रकबे में वृद्धि से ना केवल किसानों की आय में सुधार होगा, बल्कि भारतीय कृषि क्षेत्र की स्थिरता भी मजबूत होगी।

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